पारिस्थितिक कृषि पर एक पत्रिका
व्यावहारिक क्षेत्र के अनुभवों का खजाना
एकीकृत मछली खेती: एक त्रि-सामग्री दृष्टिकोण
उत्तराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्रों में, पानी की प्रचुर मात्रा होने के कारण समुदाय ने कृषि के पूरक के तौर पर एक वैकल्पिक आजीविका पायी है। मुर्गी पालन और सब्जी की खेती के साथ मछली पालन...
मिश्रित फसल प्रणाली का अधिकतम उपयोग करना
तमिलनाडु के पुडुक्कोटई जिले के कोविल वीराक्कुडी गांव के रहने वाले श्री कलाईसेलवन एक युवा व उत्साही किसान हैं। देश भर के अन्य स्थानों की तरह कोविल वीराक्कुडी में भी पिछले पांच...
मूल्य श्रृंखला में नवाचार से स्थाई आजीविका सुनिश्चित
उड़ीसा के कोरापुट जिले में किसानों को फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी के तौर पर संगठित करके औद्यानिक उत्पादों का प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन और सामूहिक विपणन का कार्य किया जा रहा है। खेत...
स्थानीय बीजों तक पहुंच बनाने के माध्यम से खाद्य सम्प्रभुता को बनाये रखना
महाराष्ट््र के आदिवासी क्षेत्रों के किसानों ने अपने भोजन की संप्रभुता बनाये रखने के लिए स्थानीय, पारम्परिक पुनर्जीवन एवं संरक्षण की सहभागी प्रक्रिया के माध्यम से स्थानीय बीजों के...
जैव विविधता से अनुकूलन का निर्माण
शुष्क क्षेत्रों में एक फसली पद्धति के साथ-साथ अनियमित वर्षा ने खेती को अविश्वसीय व अत्यधिक जोखिम भरा बना दिया है। जल संरक्षण जैसी सामान्य गतिविधियों ने किसानों को जलवायु परिवर्तन...
किसान नवाचार: जलवायु परिवर्तन से लड़ने का स्थाई समाधान
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने तथा अनुकूलन स्थापित करने के लिए केरल के पहाड़ी इलाकों के किसान नवाचार के अभ्यासों एवं गतिविधियों को अपना रहे हैं। नवाचारों को अपनाकर ये...