मूल्य श्रृंखला में नवाचार से स्थाई आजीविका सुनिश्चित

Updated on March 4, 2020

उड़ीसा के कोरापुट जिले में किसानों को फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी के तौर पर संगठित करके औद्यानिक उत्पादों का प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन और सामूहिक विपणन का कार्य किया जा रहा है। खेत से लेकर बाजार तक फसल उत्पादों के प्रबन्धन में क्षमता वृद्धि होने से न केवल किसानों की आय बढ़ी है, वरन् मोल-भाव करने की क्षमता एवं उनके आत्मविश्वास में भी वृद्धि हुई है।


कोरापुट जिले के दसमंतपुर प्रखण्ड के किसान पारम्परिक तौर पर खरीफ ऋतु में मुख्य रूप से धान, मोटे अनाज, मक्का और निगर की खेती करते रहे हैं। उबड़-खाबड़ जमीन, मृदा की खराब गुणवत्ता व सिंचाई सुविधाओं के अभाव के चलते किसान साल में सिर्फ एक फसल ही ले पाते थे। जैविक खेती पर जानकारी का अभाव होने से किसान पारम्परिक तरीके से ही खेती करते थे, जिससे कम उत्पादन हो रहा था। कम उत्पाद के साथ ही किसानों के अन्दर मोल-भाव करने की क्षमता न होने के कारण उन्हें उत्पादन के सापेक्ष लाभ भी कम मिलता था। अस्थाई आमदनी होने के कारण वैकल्पिक आमदनी हेतु किसान अन्य स्थानों पर पलायन करने हेतु विवश हैं।

राष्ट््रीय स्तर पर काम करने वाली संस्था अग्रगामी उत्पादकों की स्वयं सक्रिय भागीदारी के माध्यम से इन चुनौतियों के व्यवस्थित एवं स्थाई समाधान में विश्वास करती है। दाता संस्थाआंे जैसे- के0के0एस0, नाबार्ड एवं उड़ीसा सरकार के सहयोग से अग्रगामी ने आजीविका स्थाईत्व कार्यक्रम का आरम्भ किया और पिछले 10 वर्षों में कोरापुट जिले में कृषि-पारिस्थितिकी अभ्यासों को अपनाने हेतु 4500 की संख्या में लघु एवं सीमान्त तथा महिला किसानों को पोषित किया।

लगभग 1850 परिवार 2115 एकड़ क्षेत्रफल पर जैविक खेती करने लगे हैं, जिससे प्रति हेक्टेयर उपज में भी 5-10 प्रतिशत का सुधार हुआ है।

एक फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी की कहानी
अग्रगामी संस्था द्वारा दसमंतपुर काजू विकास प्रसंस्करण एवं विपणन उत्पादन कम्पनी लिमिटेड ;डीसीडीपीएमपीसीएलद्ध को स्थापित किया गया। इसमें 87 गांवों के किसानों और महिला समूहों को शामिल किया गया है जो किसानोें को बेहतर वापसी करने में सक्षम हैं। यह फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी आर्थिक रूप से गरीब और सामाजिक रूप से वंचित महिलाओं व किसानों के साथ काम करती है और उनकी उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देने और उद्यम विकास के माध्यम से उनकी क्षमताओं को लाभ में बदलने हेतु मदद करती है। 87 फार्मर उत्पादन समूहों ;37 उद्यान विकास समिति एवं 50 महिला मण्डलोंद्ध से सम्बद्ध 2050 प्रोग्रेसिव किसानों को मिलाकर मई 2016 में दसमंतपुर काजू विकास प्रसंस्करण एवं विपणन उत्पादन कम्पनी लिमिटेड की स्थापना की गयी।

वर्ष 2009 से 2011 के बीच गांव में पहले से स्थापित उद्यान विकास समिति एवं महिला मण्डल समूहों को फार्मर प्रोड्यूसर समूहांे में संगठित किया गया। प्रारम्भ में इन्हें बचत करने तथा आवश्यकता पड़ने पर लोगों को ऋण देने हेतु संगठित किया गया। धीरे-धीरे, सदस्यों ने काजू, हल्दी, तिलहन, दलहन, आम, टैपिओक, पहाड़ी झाड़ू और मोटे अनाजों को शामिल करते हुए विभिन्न कृषि-औद्यानिक उत्पादन प्रणालियों को सफलतापूर्वक प्रारम्भ किया।

किसान उत्पादक समूहों का सबसे अधिक जोर उत्पादकता बढ़ाने पर था। इस हेतु औद्यानिक किसानों के बीच स्थाई गतिविधियों को प्रोत्साहित किया गया। दिसम्बर, 2017 के अन्त तक, लगभग 1850 परिवार जैविक खेती की तरफ मुड़ चुके थे और 2115 एकड़ पर जैविक खेती करते हुए उन्होंने प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में 5-10 प्रतिशत का सुधार किया था।

 

 

जहां महिलाएं अपनी आत्मनिर्भरता का रास्ता स्वयं बनाती हैं

ओडिसा का जनजातीय क्षेत्र पहाड़ी घास से समृद्ध है। अच्छी गुणवत्ता की पहाड़ी झाड़ू उगाने के लिए रायगड़ा वन क्षेत्र की कृषि जलवायुविक परिस्थिति बहुत अच्छी है। अधिकांश आदिवासी पहाड़ी घास को इकट्ठा कर उसे बेचने पर निर्भर करती हैं। पहाड़ी झाड़ू की विशाल मांग पर विचार करते हुए और इसके उत्पादन की विशाल संभावना को देखते हुए वर्ष के कुछ महीनों में समुदाय की स्थाई आजीविका का विकल्प मानते हुए इसका व्यापार करने की बात पर विचार किया गया।

अम्मा संगठन ;महिला संघद्ध एक पंजीकृत संस्था है, जो 1992 में रायगड़ा के काशीपुर प्रखण्ड में 1225 महिलाओं के प्रयास से तैयार किया गया है। आदिवासी समुदाय अपने-आप को लोगों के संगठन के रूप में संगठित करने हेतु सक्षम हैं। महिला नेतृत्व को ग्राम एवं पंचायत दोनों स्तर पर तैयार किया गया। अम्मा संगठन सोसायटी काशीपुर प्रखण्ड के विभिन्न पंचायतों की 17 महिला मण्डलों का नेटवर्क है।

अम्मा संगठन के पास एक केन्द्रीय प्रसंस्करण इकाई व वेयर हाउस है, जो रायगड़ा जिले के मण्डीबिसी गांव में स्थित है। यहां कच्चे माल का संग्रहण व भण्डारण करके उनका प्रसंस्करण किया जाता है, तैयार सामानों की सूची तैयार की जाती है और प्रसंस्कृत उत्पाद का विपणन किया जाता है। प्रसंस्करण का कार्य नियमित अन्तराल पर किया जाता है। संग्रहण के बाद, पहाड़ी घास को केन्द्रीय वेयर हाउस तक पहुंचाया जाता है, जहां पर अन्तिम स्तर पर प्रसंस्करण का कार्य पूर्ण किया जाता है। पांच वर्षों की अवधि में, पहाड़ी झाड़ू का संग्रहण 312 कुन्तल से बढ़कर 411 कुन्तल हो गया। परिणामतः वार्षिक कारोबार रू0 1250000.00 से बढ़कर रू0 1720000.00 हो गया। प्रत्येक वर्ष सभी सदस्यों के बीच लाभांश को बराबर-बराबर बांट दिया जाता है। महिला उद्यमियों अपने आत्मविश्वास को प्राप्त कर लिया हैं।

 

 

किसानों को पौधों एवं जैविक खाद जैसे- पिट कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट, तरल खाद, हरी खाद, मटका खाद आदि का उपयोग करने हेतु प्रोत्साहित किया गया। उन्होंने विभिन्न प्रशिक्षणों, प्रदर्शनों एवं प्रक्षेत्र भ्रमणों के माध्यम से सीखे गये विभिन्न अभ्यासों जैसे- मल्चिंग, रिंग बनाना, पिचर सिंचाई, पौध कटिंग आदि को अपनाया। 56 गांवों से लगभग 1275 किसानों ने काजू का बगीचा तैयार किया और औसतन 5-7 किग्रा0 प्रति पेड़ से काजू का उत्पादन प्राप्त किया। इसी तरह, 53 गांवों के 1109 किसानों ने आम का बगीचा तैयार किया और प्रति पेड़ 12-15 किग्रा0 आम का उत्पादन प्राप्त किया। फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी ने उड़ीसा राज्य काजू विकास कारपोरेशन लिमिटेड, कृषि सेवा केन्द्र एवं उत्कल बीज एवं नर्सरी जैसे विभिन्न निवेश डीलरों से भी सम्पर्क स्थापित किया।

58 गांवों के लगभग 1250 किसान पहाड़ी झाड़ की खेती करने में संलग्न हैं। पहले इसकी खेती अतिक्रमित भूमि पर होती थी, लेकिन अब व्यक्तिगत खेत एवं सामूहिक जमीन दोनों पर इसकी खेती एक व्यवस्थित तरीके से की जाती है। विभिन्न क्षमता वर्धन प्रक्रियाओं के माध्यम से पहाड़ी झाड़ की खेती, प्रसंस्करण एवं मूल्य अभिवर्धन पर दक्षता एवं जानकारी वृद्धि के साथ, किसान प्रति एकड़ 400-450 किग्रा0 की कटाई कर सके।

तालिका 1: मूल्य संवर्धित उत्पाद

क्रमांक उत्पाद का नाम उत्पाद का मूल्य संवर्धन स्थानीय ब्राण्ड नाम सम्पादित करने वाली संस्था
1 काजू छिला काजू दसमन्तपुर छिला काजू डीसीडीपीएमपीसीएल के अन्तर्गत किसान व्यापार समूह
2 आम अचार, अमचूर, सूखा आम का टुकड़ा दसमन्तपुर अचार डीसीडीपीएमपीसीएल के अन्तर्गत किसान व्यापार समूह
3 पहाड़ी झाड़ झाड़ू श्रद्धा डीसीडीपीएमपीसीएल के अन्तर्गत महिला मण्डल
4 हल्दी हल्दी पाउडर अम्मा हल्दी डीसीडीपीएमपीसीएल के अन्तर्गत महिला मण्डल

 

6 गांवों के लगभग 79 किसान हल्दी की खेती कर रहे हैं। पहले यहां पर हल्दी के प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन का कोई सामूहिक प्रयास नहीं किया जाता था। हल्दी की खेती की वैज्ञानिक पद्धति पर जागरूकता का अभाव होने के कारण, किसान प्रति एकड़ 10-12 कुन्तल उपज प्राप्त करते थे। वर्तमान में, 32 गांवों के 407 किसान स्थाई अभ्यासों को अपनाते हुए हल्दी की खेती में लगे हुए हैं, जिससे संग्रहण, प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन के अलावा 18-22 कुन्तल प्रति एकड़ हल्दी की उपज प्राप्त कर रहे हैं।

मूल्य संवर्धन और विपणन
प्रसंस्करण और मूल्य अभिवर्धन पर प्रशिक्षित होने के उपरान्त फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी के सदस्य विभिन्न प्रकार मूल्य अभिवर्धन प्रक्रियाओं को कर रहे हैं। फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी के किसान व्यापार समूह आम और काजू का मूल्य संवर्धन कर रहे थे, लेकिन पहाड़ी झाड़ और हल्दी का प्रसंस्करण महिला मण्डलों द्वारा किया गया।

फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी के किसान सदस्यों ने अपने उत्पादों को एकत्र करके और स्थानीय स्तर के साथ ही शहर के बाजारों में परिवहन करके सामूहिक विपणन किया। क्रय की प्रक्रिया को अग्रगामी संस्था द्वारा फैसिलिटेट किया गया। इस हेतु संस्था ने क्रय प्रक्रिया को संभालने हेतु फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी के निदेशक मण्डल को प्रशिक्षित किया। बाजार नीति एवं दिशा-निर्देशों के द्वारा निर्धारित किये गये मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए खरीद मंे गुणवत्ता नियंत्रण के लिए एक उचित प्रक्रिया अपनायी गयी थी। खरीद-बिक्री की प्रक्रिया से बिचौलियों को हटाते हुए किसान बेहतर मूल्य प्राप्त कर सके। उपभोक्ताओं तक मूल्य सवंर्धित और प्रसंस्कृत उत्पादों की प्रत्यक्ष पहुंच सुनिश्चित करने हेतु दसमन्तपुर में एक विक्रय केन्द्र स्थापित किया गया। वर्ष 2017 के अन्त तक, 255 टन काजू, 145 टन आम एवं 41 टन पहाड़ी झाड़ू की बिक्री से प्रत्येक उत्पादक/अंशधारक को रू0 53,840.00 की आमदनी हुई। फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी ने उड़ीसा ग्रामीण विकास और विपणन समिति तथा पीसीएम निर्यात से भी जुड़ाव स्थापित किया था। इस पहल के साथ, किसान सदस्यों की आमदनी में 40 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई। उदाहरण के तौर पर, दसमन्तपुर प्रखण्ड के मारिचागुडा गांव के हल्दी उत्पादक किसानों को पहले बिचौलियों के माध्यम से कच्ची हल्दी बेचने पर प्रति कुन्तल रू0 8000.00 मात्र ही मिलता था। लेकिन अब, मूल्य संवर्धन के बाद, हल्दी पाउडर को सीधे बाजार में बेचने पर वे रू0 15000.00 प्रति कुन्तल प्राप्त करने में सक्षम हैं। इसी प्रकार काजू, आम और पहाड़ी झाड़ू के किसान उत्पादकों ने भी अपनी आमदनी को 40 प्रतिशत तक बढ़ाया है।

बाजार से जुड़ाव स्थापित करने के अतिरिक्त, फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी अपने उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं को बेचने हेतु प्रत्येक ऋतु में किसान मेला का आयोजन करती है। इससे उन्हें उत्पादों की मांग का भी पता चलता है। विपणन के अलावा, फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी आकस्मिक ऋण, उत्पादन ऋण, उपभोग्य पर खुदरा सेवाएं एवं आवश्यकता पड़ने पर किसान उत्पादकों के लिए कृषिगत उत्पादन में सहायक सेवाएं आदि भी प्रदान करता है।

निष्कर्ष
कृषि निवेश की आवश्यकता को पूरा करने तथा उत्पादों के प्रत्यक्ष विपणन को बढ़ाने हेतु सामूहिक प्रयास से किसानों को उनकी आमदनी का स्तर बढ़ाने में सहायता मिली है। इसके साथ ही मोल-भाव करने की उनकी क्षमता भी बढ़ी है। इस खरीद तंत्र पर न केवल किसानों के बीच वरन् प्रशासनिक स्तर पर भी समर्थन की लहर उठने लगी है।

यद्यपि अभी भी चुनौतियां हैं। फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी को एक संस्थान के तौर पर विकसित करने में गैर सरकारी संगठन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, परन्तु वे इसे अभी भी सामाजिक कार्य के रूप में संचालित करते हैं। लेकिन, बाजारों को समझना और उद्यमशीलता को पोषण करना एक ऐसी चीज है, जिसकी आवश्यकता फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी को विकसित करने के लिए होती है। और, यह स्थानीय संस्थाओं के बस के बाहर की बात होती है। इसके साथ ही खेत से प्रारम्भ हो कर दूर के बाजारों पर खत्म होने वाली कृष्ंिा-मूल्य श्रृंखला की सबसे कमजोर कड़ी से निपटने हेतु फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी के विकास के लिए एक अनुकूल पारिस्थितिकी प्रणाली होना आवश्यक है।
यात्रा तो अभी शुरू हुई है।

कुलस्वामी जगन्नाथ जेना


कुलास्वामी जगन्नाथ जेना
परियोजना समन्वयक - पारिस्थितिकी ग्राम विकास
अग्रगामी
काशीपुर, रायगदा,
उड़ीसा, भारत
वेबसाइट: ूूूण्ंहतंहंउममण्वतह
ई-मेल: kulaswami13@gmail.com

Source: Food Sovereignment, Vol. 19, No.1, March 2017

Recent Posts

कृषि पारिस्थितिकी पर प्रशिक्षण वीडियो: किसानों के हाथ सीखने की शक्ति देना

कृषि पारिस्थितिकी पर प्रशिक्षण वीडियो: किसानों के हाथ सीखने की शक्ति देना

छोटे एवं सीमान्त किसानों के लिए कृषि पारिस्थितिकी ज्ञान और अभ्यासों को उपलब्ध कराने हेतु कृषि सलाहकार सेवाओं को...