by rukmini | Sep 5, 2023 | जलवायु लचीलापन
जब प्राकृतिक संसाधनों का यथेष्ट उपयोग करते हुए प्राकृतिक तरीकों से खेती की जाये तो एक एकड़ भूमि में की गयी खेती भी लाभकारी हो सकती है। कर्नाटक के एक किसान थम्मैया ने अपने एक एकड़ मॉडल के माध्यम से यह सिद्ध किया है। मैसूर जिले के हुनसूर तालुक के चौड़िकट्टे गांव के श्री...
by rukmini | Jun 3, 2023 | जलवायु लचीलापन
जब महिलाओं को यह तय करने का अधिकार है कि उन्हें क्या उगाना है, किन निवेशों का उपयोग करना है, अपने उत्पादों को कब और कहां बेचना है, तब ही कृषि और आजीविका में प्रमुख बदलाव होते हैं। मराठवाड़ा में कृषि में बदलावकर्ता के रूप में महिलाओं को सशक्त करते हुए महिला जलवायु...
by rukmini | Mar 1, 2023 | जलवायु लचीलापन
छोटे से सहयोग एवं मार्गदर्शन के साथ, किसान अपने जीवन को बदल सकते हैं और मौसम व बाजारों में बदलाव के प्रति रिजीलियेण्ट बन सकते हैं। पीटर साबर की कहानी यह प्रदर्शित करती है कि, किस प्रकार वॉटरशेट ऑर्गेनाइजेशन ट््रस्ट के सहयोग से एक आदिवासी किसान ने खेती में अपना तरीका...
by rukmini | Sep 3, 2022 | जलवायु लचीलापन
विकास के क्रम में, आज जब हम ऐसे विकास की बात कर रहे हैं, जो बिना पर्यावरण, लोगों व उनकी आजीविका को नुकसान पहुंचाए हो, तब फर्रूखाबाद के एक छोटे से गांव में रहने वाले डॉ0 जगदीप सिंह के प्रयासों को नजरअन्दाज नहीं किया जा सकता। इन्होंने गांवों को शहरों में बदलते देखा और...
by rukmini | Mar 3, 2022 | जलवायु लचीलापन
पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में सब्ज़ियों की खेती करने वाले किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या समय से गुणवत्तापूर्ण बीजों की उपलब्धता है। बाजार में उपलब्ध हाइब्रिड बीजों को किसान अगले वर्ष के लिए संरक्षित नहीं कर सकता है और परम्परागत बीज...
by rukmini | Mar 2, 2020 | जलवायु लचीलापन
शुष्क क्षेत्रों में एक फसली पद्धति के साथ-साथ अनियमित वर्षा ने खेती को अविश्वसीय व अत्यधिक जोखिम भरा बना दिया है। जल संरक्षण जैसी सामान्य गतिविधियों ने किसानों को जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों से निपटने हेतु आत्मबल प्रदान किया है। खेती में जैव विविधता में वृद्धि करके...