जैविक तरीके से लचीलापन निर्माण

Updated on March 1, 2023

छोटे से सहयोग एवं मार्गदर्शन के साथ, किसान अपने जीवन को बदल सकते हैं और मौसम व बाजारों में बदलाव के प्रति रिजीलियेण्ट बन सकते हैं। पीटर साबर की कहानी यह प्रदर्शित करती है कि, किस प्रकार वॉटरशेट ऑर्गेनाइजेशन ट््रस्ट के सहयोग से एक आदिवासी किसान ने खेती में अपना तरीका बदल कर अपनी आमदनी में वृद्धि की साथ ही अपने क्षेत्र में एक सन्दर्भ व्यक्ति के रूप में उभरे हैं।


पीटर साबर उड़ीसा के रायगढ़ जिले में गुनुपुर के गांव तारगीसिंग में रहने वाले एक किसान हैं। वह एक छोटे किसान हैं और उनकी आजीविका का मुख्य स्रोत खेती और खेती आधारित गतिविधियां हैं। वह अपनी पत्नी संजनिता साबर के साथ रहते हैं। उनके पास 7 एकड़ खेती है, जिसमें से मात्र एक एकड़ भूमि पर खरीफ ऋतु में वर्षा आधारित खेती करते हैं। शेष 6 एकड़ भूमि चारागाह है, जिस पर उन्होंने काजू के बागान लगाये हैं, जिससे काफी कम उपज होती है। वह वर्ष में सिर्फ एक फसल लेते हैं। सर्दियों में उनकी जमीन परती पड़ी रहती है। खरीफ के दौरान धान की खेती करते हैं और प्राप्त उपज सिर्फ घर के खाने के ही काम आता है। अन्य घरेलू कार्यों व खर्चों को पूरा करने के लिए वे काजू बेचते हैं और स्थानीय स्तर पर मजदूरी करते हैं।

गांव के अन्य दूसरे लोगों के साथ ही पीटर भी चार से 6 माह के लिए अन्य राज्यों जैसे- अरूणाचल प्रदेश, तमिलनाडु एवं पुणे में काम की तलाश में जाते हैं।

पहल      

अगस्त, 2018 में वाटरशेड आर्गेनाइजेशन ट््रस्ट ने आदिवासी समुदायों के लिए आजीविका संभावनाओं में सुधाव व विस्तार के लक्ष्य के साथ गुनुपुर विकास खण्ड के 11 गांवों में एक परियोजना का क्रियान्वयन प्रारम्भ किया।  ब्रेड फार द वर्ल्ड द्वारा सहायतित इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन और अनुकूलन क्षमता का निर्माण करना था।

परियोजना के क्रियान्वयन में जलवायु अनुकूलित खेती एक मुख्य घटक था। इस घटक का उद्देश्य, अनुकूलित, स्थाई कृषि अभ्यासों जैसे- फसल सघनीकरण की प्रणाली को प्रोत्साहित करना तथा कृषिगत अभ्यासों को उन्नत करना था। जैविक यौगिकों को बढ़ावा देना, सब्ज़ियों की खेती हेतु किसानों को प्रोत्साहित करना एवं कृषिगत लागत को घटाना इस पहल की मुख्य गतिविधियां थीं।

पीटर ने वाटरशेड ऑर्गेनाइजेशन ट््रस्ट, द्वारा आयोजित चार कृषिगत प्रशिक्षणों में सहभागिता निभाई। इन प्रशिक्षणों के दौरान बीज के चयन से फसल कटाई तक की सभी कृषिगत तकनीकों के उपर समझ विकसित की गयी। पीटर कहते हैं, ‘‘पहले प्रशिक्षण में, हमने सीखा कि बीज का चयन कैसे करें, बीज उपचार के तरीके क्या हैं और बीज शैया किस प्रकार तैयार की जाती है। दूसरे प्रशिक्षण में, हमें फसल सघनीकरण और अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने की दृष्टि से फसलों के लिए आवश्यक अन्य पोषक तत्वों तथा सूर्य की रोशनी का समुचित उपयोग सुनिश्चित करने हेतु पंक्ति पद्धति का उपयोग कर पौधरोपण की तकनीक बताई गयी। तीसरे प्रशिक्षण में, पोषण प्रबन्धन एवं दशपर्णी अर्क, जीवाम्रुत, नीमास्त्र आदि जैविक यौगिकों को तैयार करने की विधि पर एक प्रदर्शन किया गया। चौथे प्रशिक्षण में, फसल कटाई तथा कटाई के बाद प्रबन्धन जैसे विषयों के उपर जानकारी दी गयी।’’

लचीलापन विकसित करना

इस प्रशिक्षण में सीखी गयी कुछ गतिविधियों को पीटर ने उत्साहपूर्वक अपनाया, जिससे उन्हें लाभ प्राप्त हुआ। इन प्रशिक्षण कार्यकमों को आयोजित करने और पूरे फसली वर्ष में प्रत्येक किसान को तकनीकी सहयोग देने में वसुन्धरा सेवक और वाटरशेड ऑर्गेनाइजेशन ट््रस्ट के कार्यकर्ताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

वाटरशेड ऑर्गेनाइजेशन ट््रस्ट से सहायता प्राप्त किसानों के एक डेमो खेत है, जहां वह सभी संस्तुत पद्धतियों को अपनाते हैं। इसे परम्परागत खेती पद्धति अपनाये जा रहे नियन्त्रित खेत से तुलना करके देखा जाता है। दो खेतों के बीच का अन्तर अपने-आप में प्रमाण होता है। पौध विकास, परिपक्वता, बाली बनने आदि से सम्बन्धित विस्तृत रिकार्ड लेने, व्यवस्थित करने तथा उपज की गणना करने आदि में वाटरशेड आर्गेनाइजेशन ट््रस्ट ने सहायता प्रदान की। पीटर कहते हैं, ‘‘विस्तृत रिकार्ड रखने से हमें यह सीखने में मदद मिलती है कि फसल के प्रत्येक चरण में क्या हो रहा है। डेमो खेत और नियन्त्रित खेत की तुलना कर प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण करने से हमें परम्परागत पद्धतियों के स्थान पर उपयोग में लायी जा रही पद्धतियों के गुणात्मक लाभों को समझने में सहायता मिलती है।’’

प्राप्त दिशा-निर्देशों का अनुपालन करते हुए, पीटर ने वर्ष 2019 में पहली बार टमाटर की खेती की। उन्होंने अपनी टमाटर की खेती के लिए स्टेकिंग पद्धति का प्रयोग किया, जिसमें प्रत्येक पौधे को एक डण्डे की सहायता से बांध दिया, ताकि पौधा सीधा खड़ा रहे। इस विधि से बिना मिट्टी के सम्पर्क में आये पौधों का विकास लम्बवत होता है फलों में सड़न न होने से नुकसान कम होता है। उन्होंने टमाटरों को बेचकर रू0 8,000.00 की आय प्राप्त की। दशपर्णी अर्क, नीमास्त्र और अमृतपानी का प्रयोग कर जैविक विधि से उगाये गये ये टमाटर रसायन मुक्त और स्वादिष्ट हैं। वर्ष 2020 में, जब पूरा जिला कोविड-19 महामारी की चपेट में था, उस समय पीटर अपने खेत से निकले उत्पादों जैसे- टमाटर और प्याज को बेचने में व्यस्त थे।

पीटर ने वर्ष 2020-21 के खरीफ ऋतु में एसआरआई विधि से चावल की खेती भी की। पीटर के पास सिंचाई साधनों की अपर्याप्तता को देखते हुए रबी ऋतु में बौछारी सिंचाई संयंत्र सेट उपलब्ध कराया गया, जिसमें पीटर का अंशदान रू0 2000.00 का था। इन्हें बौछारी सिंचाई संयंत्र के उपयोग की विधि के उपर भी प्रशिक्षित किया गया। परिणाम बेहद उल्लेखनीय रहा। नियन्त्रित खेत से जहां 1700 किग्रा0 प्रति एकड़ उपज प्राप्त हुई, वहीं डेमो वाले खेत से प्रति एकड़ 2000 किग्रा0 उपज मिला। इस प्रकार नियन्त्रित खेत की तुलना में डेमो खेत से 18 प्रतिशत अधिक उपज मिली। तब इन्होंने प्याज और टमाटर की खेती प्रारम्भ की और रू0 8530.00 का लाभ अर्जित किया। इस प्रकार एक किसान, जो रबी ऋतु में पहले कोई भी फसल नहीं उगा पा रहा था, अब वह केवल रबी ऋतु में औसतन रू0 8000.00 की आय अर्जित कर रहा है।

पीटर अब दूसरी फसल जैसे सूर्यमुखी, मक्का एवं सब्ज़ियां जैसे- मिर्च, गोभी, बैगन, करेला, लौकी, प्याज आदि उगाने की संभावनाएं भी देख रहे हैं। पीटर कहते हैं, ‘‘अब मैं आजीविका की तलाश में लम्बे समय के लिए अन्य शहरों में नहीं जाता हूं। मैं टमाटर, प्याज और अन्य दूसरी सब्ज़ियां उगाता हूं। मैं अपने धान के खेत में काम करता हूं, महुआ और काजू के फलों को एकत्र करता हूं और मैं अपने उपयोग के बाद शेष बचे जैविक यौगिकों को अन्य किसानों को बेचता भी हूं।’’

पीटर अपनी सीख को लोगों के साथ साझा करने में विश्वास रखते हैं। जो लोग सीखने की इच्छा रखते हैं, पीटर उनके लिए प्रदर्शनों का आयोजन करते हैं। उन्होंने अपने आस-पास के गांवों में अपने परिचितों और रिश्तेदारों को जैविक उर्वरकों एवं कीटनाशकों को तैयार करने की तकनीक सिखाई। निकट के गांवों में दूसरों को जैविक योगों के उपर प्रशिक्षित करने की बड़ी मांग को देखते हुए वॉटरशेड ऑर्गेनाइजेशन ट््रस्ट ने दूसरे आदिवासी गांवों में पीटर को एक प्रशिक्षक के तौर पर प्रोत्साहित किया है। वास्तव में पीटर के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है कि अब उनकी पहचान एक प्रवासी व्यक्ति के तौर पर न होकर एक प्रशिक्षक के तौर पर है।

हर्षल खाड़े


हर्षल खाड़े
कम्यूनिकेशन अधिकारी
वाटरशेड ऑर्गनाइजेशन ट््रस्ट ;डब्ल्यूओटीआरद्ध
द फोरम, दूसरा तल, पुणे-सतारा मार्ग,
पदमावती कार्नर, रंका ज्वेलर्स के उपर,
पुणे - 411 009, महाराष्ट््र
ई-मेल:harshal.khade@wotr.org.in

Source: Building farm resilience, LEISA India, Vol. 23. No.3, Sep 2022

Recent Posts

कृषि पारिस्थितिकी पर प्रशिक्षण वीडियो: किसानों के हाथ सीखने की शक्ति देना

कृषि पारिस्थितिकी पर प्रशिक्षण वीडियो: किसानों के हाथ सीखने की शक्ति देना

छोटे एवं सीमान्त किसानों के लिए कृषि पारिस्थितिकी ज्ञान और अभ्यासों को उपलब्ध कराने हेतु कृषि सलाहकार सेवाओं को...