महिलाओं का सशक्तिकरण अनिवार्य रूप से समाज में परम्परागत रूप से वंचित महिलाओं की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्तर को ऊपर उठाने की प्रक्रिया है। महिलाओं को सशक्त बनाने से अर्थव्यवस्था में तेजी आती है तथा उत्पादकता व विकास में वृद्धि होती है। कर्नाटक की बीबी फातिमा की कहानी यह सिद्ध करती है कि महिलाओं के नेतृत्व वाले व्यवसाय या उद्यम में उन्हें वित्तीय स्वतन्त्रता और सशक्तिकरण देकर समाज को महत्वपूर्ण बदलाव लाया जा सकता है।
हावेरी जिले के शिगगाँव तालुक में तीरथा गाँव की रहने वाली बीबी फातिमा 38 वर्षीय युवा, उद्यमी स्नातक महिला हैं। एक गैर सरकारी संगठन सहज समु्रद्धि की सहायता से बीबी फातिमा वर्ष 2018 से महिलाओं को सशक्त करने का कार्य कर रही हैं। उन्होंने प्रारम्भ में बीबी फातिमा स्व सहाय संघ नाम से एक स्वयं सहायता समूह का गठन किया और आगे चलकर दो तालुका – शिगगाँव एवं कुंडगोल में 6 स्वयं सहायता समूहों के गठन में सहयोग प्रदान किया।
सामुदायिक बीज बैंक
उत्पादन में वृद्धि तथा बीजों तक लोगों की पहुँच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बीबी फातिमा ने वर्ष 2019 में तीरथा गाँव में एक बीज बैंक की शुरूआत की। वर्तमान में, उनके बीज बैंक में विभिन्न फसलों के 300 से अधिक प्रजातियों के बीज उपलब्ध हैं। उनके पास रागी की 75 प्रजातियों, सांवा की 25 प्रजातियों, कोरले की 25 प्रजातियों, बाजरा की 10 प्रजातियों एवं प्रोसो मोटे अनाज की 2 प्रजातियों के बीज मौजूद हैं। उनके बीज बैंक में सब्ज़ियों एवं दालों के भी अलग-अलग बीज हैं।
किसानों को अपने खेत में कई प्रकार की फसलें उगाने में सहयोग करने की दृष्टि से 9 तरह की बीजों को मिलाकर ‘‘नवधान्या किट’’ तैयार किया गया है। इसमें दलहन, तिलहन, मोटे अनाज और सब्ज़ियों के बीज शामिल हैं। हावेरी, धारवाड़, गुलबर्गा, मैसूर और मांड्या जिले के चयनित किसानों को प्रत्येक वर्ष ये किट निःशुल्क वितरित किये जाते हैं। अन्य दूसरे किसान, जो इस किट को लेना चाहते हैं, उनके लिए यह किट एक निश्चित मूल्य पर बेची जाती है।
वर्ष 2021 में, सहज समु्रद्ध के सहयोग तथा आईसीएआर-आईआईएमए, हैदराबाद से वित्तीय सहायता प्राप्त कर गाँव में मोटे अनाज प्रसंस्करण की 9 मशीनें लगायी गयीं (तालिका 1 देखें)। इसका संचालन बीबी फातिमा के नेतृत्व में किया जा रहा है। इस इकाई में, रागी डोसा मिश्रण, रागी बहु अनाज आटा, रागी विशिष्ट माल्ट, सभी अनाजों का आटा आदि विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार किये जाते हैं। इनके अतिरिक्त प्राकृतिक उत्पाद जैसे- पपीता साबुन, शुद्ध नारियल तेल का उपयोग करके चारकोल साबुन, तुलसी, बेवू, नीम जूस, दूध, हल्दी और एलोवेरा भी उत्पादित किये जाते हैं। सभी मूल्य सवंर्धित उत्पादों को हम्पी उत्सव जैसे विभिन्न आयोजनों में प्रदर्शित किया जाता है ताकि तकनीकों के उपयोग को बड़े समुदाय तक पहुँचाया जा सके।
वर्ष 2023 में, 1000 अंशधारकों के साथ ‘‘देवधान्या’’ नाम से एक फार्मर प्रोड्यूसर संगठन का गठन किया गया। इसमें 80 प्रतिशत महिलाएं थीं। एफपीओ के माध्यम से, वे प्रति सप्ताह विभिन्न मोटे अनाजों के 5 कुन्तल दानों को बेचती हैं। वे मेले व सम्मेलनों के दौरान खान-पान की सेवाएं भी प्रदान करती हैं। वे जिले के अन्दर प्रति रोटी रू0 7-8 तथा जिले के बाहर प्रति रोटी रू0 10.00 की दर से बेचती हैं। कुल मिलाकर उन्हें लगभग 20 प्रतिशत लाभ प्राप्त होता है।
तालिका 1: मोटे अनाज प्रसंस्करण मशीनें
| एस्पिरेटर | एस्पिरेटर इसका उपयोग मोटे अनाजों पर से भूसी हटाने के लिए किया जाता है। एक एस्पिरेटर के माध्यम से भूसी और चावल अलग-अलग होता है। चावल को भूसी से प्रभावी ढंग से अलग करने हेतु दो चैम्बरों का उपयोग किया जाता है। पूरी तरह से बिना पॉलिश किया हुआ चावल इसका अन्तिम उत्पाद होता है। |
| मोटे अनाजों को आकार के आधार पर अलग-अलग करने वाली मशीन | इस मशीन का उपयोग अनाजों को उनके आकार के आधार पर ग्रेड करने के लिए किया जाता है। |
| डेस्टोनर 1 एवं डेस्टोनर 2 | कम्पन गति द्वारा अनाज और पत्थरों को अलग-अलग किया जाता है। कम्पन प्रणाली के बल और वायु प्रवाह की क्रिया के तहत्, बड़े पत्थरों को बड़े पत्थर के आउटलेट में भेज दिया जायेगा। |
| आटा मशीन | आटा मशीन का उपयोग अनाजों को पीसने, छोटे टुकड़ों में तोड़ने और उन्हें अलग करने के लिए किया जाता है। बाजार में अलग-अलग आकार के मशीन उपलब्ध हैं। हम अपनी आवश्यकता के आधार पर इन्हें खरीद सकते हैं। |
| एस्पिरेटर-कम-डिहस्लर | कच्चे माल को उचित सफाई के बाद भूसी हटाने के लिए हस्लर में भेजा जाता है। |
| पैकिंग मशीन | पैकिंग मशीनों का उपयोग उत्पादों को कुशलतापूर्व और प्रभावी ढंग से पैकेज करने के लिए किया जाता है। पैकिंग मशीनें विभिन्न प्रकार की होती हैं जिनमें से प्रत्येक को विशिष्ट पैकेजिंग आवश्यकताओं के अनुरूप डिजाईन किया गया है। ये मशीनें विभिन्न विशेषताओं से सुसज्जित हैं जो उन्हें कुशल, सटीक और विश्वसीय बनाती हैं। |
अखिल भारतीय समन्वित शोध परियोजना ‘‘कृषि में महिलाएं’’ के साथ सहयोग
अखिल भारतीय समन्वित शोध परियोजना-आईसीएआर की महिला कृषि, केन्द्रीय महिला कृषि संस्थान, भुवनेश्वर द्वारा ‘‘श्री अन्न ग्राम योजना’’ नामक परियोजना का क्रियान्वयन देश के 12 राज्यों में किया जा रहा है। इसका उद्देश्य गोद लिये गये क्षेत्र/गाँवों में मोटे अनाजों के उत्पादन तथा पोषण में वृद्धि के लिए मोटे अनाज आधारित खाद्य पदार्थों के उपभोग को बढ़ावा देना था। एआईसीआरपी-डब्ल्यूआईएए धारवाड़ केन्द्र ने अपने कार्यक्रम को क्रियान्वित करने के लिए हावेरी जिले के शिगगाँव तालुक के शिशुविनाल और बन्नीकोपरा गाँवांे का चयन किया। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत, गोद लिये गये गाँवों में मोटे अनाजों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने हेतु तीरथा के बीज बैंक से बीज क्रय किये गये।
| बीज बैक एक ऐसी सुविधा है, जो भावी पीढ़ियों के लिए आनुवांशिक रूप से शुद्ध बीजों को संरक्षित करती है। बीजों को सामान्यतः नियंत्रित जलवायु, कम आर्द्रता एवं उपयुक्त वातावरण में रखा जाता है ताकि बीजों को लम्बे समय तक संरक्षित रखा जा सके। बीज बैंक एक प्रकार का बीमा ही है जो हमें यथासंभव अधिक से अधिक पौधों को विलुप्त होने बचाने की अनुमति देता है। अच्छी तरह से वित-पोषित और बेहतर तरीके से रखा गया बीज बैंक कृषि पर जलवायु परिवर्तन के विश्वव्यापी प्रभावों को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है। |
पुरस्कार और सम्मान
बीबी फातिमा ने अपने निरन्तर प्रयासों, रूचि और परिवार के सहयोग से आर्थिक स्वतन्त्रता प्राप्त की तथा उनकी सामाजिक पहचान एवं आत्मविश्वास में वृद्धि हुई। वर्ष 2023 में उन्हें डेक्कन हेराल्ड द्वारा एक परिवर्तक (चेन्जमेकर) के तौर पर मान्यता दी गयी। बंगलोर, मांड्या, चेन्नई एवं दिल्ली की बहुत सी संस्थाओं द्वारा उन्हें बहुत से पुरस्कार, नकद प्रमाण पत्र और पदक प्रदान किये गये। अब, बीबी फातिमा ने कुंडगोल में 40 एवं शिगगाँव में 10 स्वयं सहायता समूहों तथा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन-संजीवनी समूह के अन्तर्गत 83 समूहों का गठन किया और वर्तमान में वह पंचायत में सचिव के पद पर कार्य कर रही हैं।
उद्यमिता गतिविधियों एवं मूल्य संवर्धन के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने से न केवल उनकी आय में वृद्धि होती है, वरन् गाँव स्तर पर उनके आत्मविश्वास एवं क्षमता निर्माण में भी योगदान मिलता है। बीबी फातिमा के प्रयास क्षमता एवं कौशल निर्माण के माध्यम से महिलाओं की सफलता पर प्रकाश डालते हैं। इसलिए प्रसार कार्यकर्ताओं को ऐसे उद्यमियों को पहचानना चाहिए, उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए तथा अन्य किसानों, विश्वविद्यालयों, निजी कम्पनियों, प्रसंस्करण इकाईयों एवं उपभोक्ताओं से उनका जुड़ाव सुनिश्चित करना चाहिए।
अधिक जानकारी के लिए हावेरी जिले के तीरथा गाँव की बीबी फातिमा से सम्पर्क नं0 8431988093 पर सम्पर्क करें।ण्
गीता पी. चन्नल
वरिष्ठ वैज्ञानिक, एआईसीआरपी-डब्ल्यूआईए (प्रसार)
कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय
धारवाड़ – 580 005
कर्नाटक, भारत
ई-मेल: geetrajpatil@yahoo.co.in
राजेश्वरी देसाई
वरिष्ठ वैज्ञानिक, एआईसीआरपी-डब्ल्यूआईए (एफआरएम)
कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय
धारवाड़ – 580 005
कर्नाटक, भारत
Source: Youth and Agroecology, LEISA INDIA, Vol. 26, No.2, March. 2024



