सौर उर्जा के माध्यम से उत्पादों को सुखाकर मूल्य संवर्धन

Updated on December 2, 2021

सोलर के माध्यम से सुखाने की तकनीक का एकीकरण करते हुए प्रमुख उत्पादों का कृषियेत्तर मूल्य संवर्धन करते हुए महिला किसानों के संगठन लाभान्वित हो रहे हैं। विकेन्द्रीकृत उद्यम के माध्यम से एक तरफ जहां लोगों की मांग को पूरा किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ प्रसंस्करण के माध्यम से किसान भी बेहतर आय प्राप्त करने में सक्षम हो रहे हैं।


बहुत से फलों और सब्ज़ियों के उत्पादन में भारत का प्रथम स्थान है। समग्र रूप से कहा जाये तो, भारत फलों और सब्ज़ियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। परन्तु सबसे बड़ा उत्पादक देश होने के बावजूद भारत में कुपोषण कई स्तरों में देखने को मिलती है, इसका सबसे बड़ा कारण पूरे वर्ष फलों एवं सब्ज़ियों की आपूर्ति न हो पाना है। विभिन्न अनुमानों के अनुसार पूरे वर्ष में घरेलू स्तर पर सब्ज़ियों व फलों की कटाई/तुड़ाई के कारण लगभग 20-30 प्रतिशत फलंों व सब्जियों का नुकसान हो जाता है अर्थात् मूल्य में देखें तो प्रतिवर्ष औसतन लगभग रू0 50,000.00 करोड़ रूपये मूल्य के फल व सब्ज़ियां नुकसान हो जाता हेै। इसके लिए मूल्य में उतार-चढ़ाव, समय की कमी एवं अपर्याप्त भण्डारण, संरक्षण और कटाई के बाद के अभ्यास मुख्य रूप से उत्तरदायी होते हैं।

बहुधा किसानों को अपने जल्द सड़ने-गलने वाले उत्पादों को औने-पौने दामों पर बेचने के लिए बाध्य होना पड़ता है। बहुत बार तो किसानों को अपनी उत्पादन लागत से भी कम दाम पर उत्पादों को बेचना पड़ता है। कोई-कोई उत्पादक ही प्रसंस्करण/मूल्य संवर्धन की प्रक्रिया अपनाते हैं। मूल्यवर्धन की प्रक्रिया ज्यादातर व्यवसायिक संस्थाओं द्वारा औद्योगिक स्तर पर किया जाता है, जिसमें उत्पादों का एकत्रीकरण, प्रसंस्करण और पैकेजिंग जुड़ा होता है। लॉजिस्टिक, परिवहन और उर्जा के सन्दर्भ में देखें तो प्रसंस्करण सघन होता है। इस प्रकार किसान कम मूल्य की खराब होने वाली सामग्रियों मंे जोखिम उठाते हैं जबकि प्रसंस्करणकर्ता मूल्यवर्धन का लाभ उठाते हैं।

किसानों को अपने उत्पादों का मूल्य संवर्धन करने में सक्षम बनाना उनके लिए स्थाई आय उपार्जन का एक बेहतर विकल्प हो सकता है। सोलर के माध्यम से सुखाना विभिन्न पोस्ट हार्वेस्ट तकनीकों में से एक है, विकेन्द्रीकृत प्रसंस्करण के साथ मिला हुआ है। इस तरीके से कम समय में खराब होने वाले खाद्य उत्पादों का जल सुखाकर उनका रंग, पोषण मूल्य और सुगन्ध को यथावत बनाये रखते हुए उनके जीवन अवधि को बढ़ाया जाता है। बदलती जीवन शैली और पकाने के लिए तैयार खाद्य सामग्रियों को प्राथमिकता देने की मानसिकता उपजने के कारण इस तरह के व्यापार की असीम संभावनाएं हैं। उपरोक्त के आलोक में, बाएफ द्वारा पुणे के उरूलीकंचन क्लस्टर में सोलर ड््राइंग के माध्यम से फलों और सब्ज़ियों को सुखाने का पायलट प्रोजेक्ट किया गया था।

पहल
बाएफ द्वारा उरूलीकंचन क्षेत्र में लघु एवं सीमान्त किसानों को वर्ष भर आय अर्जन करने हेतु सक्षम बनाने के लिए स्थाई आजीविका गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। क्लस्टर में किसानों के पास औसतन 4 एकड़ भूमि है और प्रत्येक पांचवा व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे आता है। यहां सिंचित क्षेत्र समृद्ध है, लेकिन अन्य क्षेत्र कम विकसित है।

पुणे शहर के बाहरी क्षेत्र में स्थित उरूलीकंचन एक ऐसे अर्ध-शहरी क्षेत्र का उदाहरण है, जहां अधिकांश किसान पत्तेदार सब्ज़ियां, टमाटर, प्याज गन्ना आदि की खेती करते हैं। चक्रीय उत्पादन एवं आपूति पद्धतियां मौसमी उतार-चढ़ाव के आधार पर तय होती हैं, लेकिन विशिष्ट उत्पादों की मांग या तो स्थिर होती है या फिर आपूर्ति चक्र के साथ मेल नहीं खाती है। शीत भण्डारगृहों में उत्पादों को भण्डारित करने जैसे पोस्ट-हार्वेस्ट विकल्प बहुत सीमित और महंगे होते हैं। बहुत बार, यह अनुभव होता है कि उत्पादांे की लागत के बराबर मूल्य बहुत मुश्किल से मिलता है। यह भी अनुभव किया गया कि पूरे वर्ष निश्चित उत्पादों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राजमार्ग पर होटलों/भोजनालयों के निकट क्लस्टर की अप्रत्यक्ष आवश्यकता है। मूल्य में आने वाले उतार-चढ़ाव एवं जबरदस्ती बिक्री जैसी परिस्थितियों से बचाव की आवश्यकता थी। इसे दृढ़ता से महसूस किया गया कि यह उद्यम पहल के लिए एक ट््िरगरिंग बिन्दु था। उरूलीकंचन में पायलट परियोजना के आधार पर सोलर ड््राइंग के माध्यम से फलों और सब्ज़ियों के पानी को सुखाना प्रारम्भ किया गया था।

उरूलीकंचन क्लस्टर में पायलट परियोजना का प्रारम्भ एक विक्रेन्द्रिकृत तरीके से किया गया, जिसमें प्रत्येक प्रतिभागी को एक ड््रायर दिया गया। आजीविका के लिए तकनीक प्रसार पहल के एक भाग के तौर विभिन्न प्रकार की तकनीकों को समुदाय में लाया गया, जिसमें से एक सोलर ड््रायर था। प्रत्येक प्रतिभागी के पास एक ड््रायर की स्थापना की गयी। सोलर ड््रायर में अल्ट््रा वायलेट किरणों से बचाव का एक उल्लेखनीय पहलू जोड़ा गया जिससे उत्पादों के रंग, सुगन्ध एवं पोषण अपने मूल अवस्था में ही बने रहे, जो सामान्यतः खुली धूप में सुखाने से नष्ट हो जाते हैं। इसलिए इसे उपयुक्त रूप से ‘‘ताज़गी सदा…… स्वादिष्ट हमेशा……..।’’ कहा जाता है।

घर के स्तर पर सुखाने का कार्य करने तथा समूह स्तर पर उत्पादों का एकत्रीकरण, पैकिंग और विपणन के लिए महिलाओं ने समूह का गठन किया। यह दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करता है कि महिलाएं अपने घरों से काम करके आय अर्जन करने में सक्षम हैं तो वहीं दूसरी ओर सामूहिक रूप से कार्य करते हुए अर्थव्यवस्था को उन्नत कर सकती हैं। इस पहल को निम्न बिन्दुओं के तहत् डिजाइन किया गया-
* बी/सी ग्रेड की सब्ज़ियों की स्थानीय स्तर पर खरीद या प्रमुख रूप से अपने स्वयं के उत्पाद के उपयोग करें।
* स्वच्छ एवं नमी मुक्त परिस्थितियों में कटिंग, ड््राइंग, यदि आवश्यक हो तो पावडरिंग एवं पैकिंग करना।
* खरीद करने वाली एजेन्सियों, स्थानीय बाजारों, खाद्य श्रृंखलाओं आदि के साथ जुड़ाव स्थापित करना।

सेलर ड््रायर का उपयोग टमाटर, अदरक, प्याज, स्टीविया, सहजन की पत्तियां, पालक, मेथी आदि बहुत सी सब्ज़ियों/उत्पादों को सुखाने के लिए किया जाता है। चीकू के चिप्स, तैयार पूरन चपाती ;महाराष्ट््रीयन व्यंजनद्ध, तैयार पालक और मेथी पराठा, चुकन्दर का पाउडर आदि कुछ खाने के लिए तैयार उत्पादों को भी स्थानीय स्तर पर विकसित किया गया। सुखाने के लिए उपयोग किये जाने वाले कच्चे माल या तो स्थानीय स्तर पर प्रतिभागियों द्वारा उगाये जाते हैं या फिर स्थानीय स्तर पर दूसरे किसानों से खरीद लिया जाता है। थोक में आर्डर मिलने पर गुणवत्ता की जांच करने के बाद पैकेजिंग का काम प्रतिभागियों द्वारा पूरा कर लिया जाता है और खुदरा आर्डर पर पैकेजिंग एवं लेवलिंग का काम संकल्प स्टोर द्वारा पूरा कर लिया जाता है। यह दृष्टिकोण इस बात को पुष्ट करता है कि सुखाने का काम व्यक्तिगत स्तर पर करने के बाद तब एकत्रीकरण का काम समूह स्तर पर किया जाता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि महिलाएं अपने घरों से काम कर सकती हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर आने वाली मांग को पूरा करने के लिए अपनी सामूहिक शक्ति से भी लाभ उठा सकती हैं।

उत्पादांे के पोर्टफोलियो और व्यवहार्यता को निम्नलिखित तालिका के माध्यम से साधारण तरीके से समझा जा सकता है-

 

सब्ज़ियां-वर्तमान में उत्पादित उत्पाद-बाजार उपलब्ध ;प्रथम वरीयताद्ध सब्ज़ियां-वर्तमान में नहीं उत्पादित उत्पाद-बाजार उपलब्ध
सब्ज़ियां-वर्तमान में उत्पादित उत्पाद-बाजार का न होना ;कम  वरीयताद्ध सब्ज़ियां-वर्तमान में नहीं उत्पादित उत्पाद-बाजार का न होना

 

उत्पादों को दो तरीके से बेचा गया- एक ‘‘संकल्प’’ नामक खुदरा आउटलेट के माध्यम से। पहले महिला समूहों को प्रोत्साहित किया गया, अब संघ बनाया गया है, जो उद्यम-स्तर की गतिविधियों को संचालित करती है। इस संघ के अन्तर्गत, उरूलीकंचन में वर्ष 2013 में खाद्य एवं प्रसाधन उत्पादों के लिए एक दुकान की स्थापना की गयी, जिसे ‘‘संकल्प’’ के नाम से जानते हैं। विपणन का दूसरा माध्यम थोक में प्राप्त आर्डरों के आधार पर माल आपूर्ति करना है।

 

 

बाक्स 1: सोलर ड््रायर यूनिट का विस्तृत विवरण

मांग को पूरा करने और व्यवहारिक संचालन के लिए, 2 मी0 ग 2 मी0 आकार का 20 किग्रा0 गीली लोडिंग क्षमता वाले 15-20 ड््रायर का होना जरूरी है। ड््रायरों को पूरे एक वर्ष में 8-9 माह तक प्रति माह 20 दिन चलना चाहिए। एक स्थापित बाजार के लिए संभावित उत्पाद पोर्टफोलियो इस प्रकार होंगे –

1. टमाटर, करैला, लौकी, खीरा, कद्दू आदि सब्ज़ियां ;सुखाने का अनुपात: 10 किग्रा:1 किग्रा, गीली लोडिंग क्षमता: 15 किग्रा0 प्रति बैचद्ध

2. अदरक, भिण्डी, मिर्च आदि सब्ज़ियां ;सुखाने का अनुपात: 6 किग्रा:1 किग्रा, गीली लोडिंग क्षमता: 17-20 किग्रा0 प्रति बैचद्ध

3. पालक, नीम, तुलसी, सहजन आदि की पत्तियां ;सुखाने का अनुपात: 5 किग्रा:1 किग्रा, गीली लोडिंग क्षमता: 10 किग्रा0 प्रति बैचद्ध

4. अंकुरित मूंग, मटकी आदि सब्ज़ियां ;सुखाने का अनुपात: 1.5 किग्रा:1 किग्रा, गीली लोडिंग क्षमता: 15 किग्रा0 प्रति बैचद्ध

 

 

उद्यम का संचालन, प्रबन्धन और रख-रखाव सभी केवल सदस्यों द्वारा सम्पादित किया जाता है। हैण्ड होल्डिंग सहयोग और प्रशिक्षण बाएफ टीम द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। रोज सुखाना एवं ड््रायरों का प्रबन्धन एवं रख-रखाव व्यक्तिगत रूप से किया जाता है। सोलर ड््रायरों का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि इसकी लागत ‘‘जीरो रनिंग’’ है। इसके साथ ही, इसमें कोई चलनशील या विद्युत सम्बन्धी घटक न होने के कारण रख-रखाव नगण्य है। फिर भी, कुछ छोटे-छोटे मुद्दे आते ही रहते हैं। जैसे एक बार अचानक भारी बारिश के कारण अल्ट््रा वायलेट फिल्टर शीट की क्षति देखी गयी।

विस्तार देना
तकनीकों को अपनाने में क्षेत्र की अर्ध शुष्क जलवायुविक परिस्थितियां बहुत सहायक रही हैं। सोलर ड््रायर का उपयोग कर प्रतिभागियों ने बहुत से खाद्य उत्पादों को विकसित किया। वे बी और सी ग्रेड की सब्ज़ियों को भी प्रसंस्कृत कर सकते हैं, जिन्हें बहुधा कृषि अपशिष्ट के रूप में फेंक दिया जाता है। वर्तमान में, इस पहल के माध्यम से, प्रत्येक प्रतिभागी सदस्य प्रतिमाह रू0 2500.00-3000.00 के बीच अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर रहे हैं।

इस पायलट पहल से प्राप्त लाभों के आधार पर, कुछ अधिक सोलर ड््रायरों को लगाने की मांग समुदाय की तरफ से आ रही है। 2018-2019 के बीच 100 अन्य ड््रायरांे को लगाया गया। ड््रायर के मूल्य का लगभग 20 प्रतिशत लागत सदस्यों द्वारा अंशदान के रूप में दिया गया। जबकि कुछ प्रोत्साहन सहयोग, संचालनात्मक व्यय आदि को समूह द्वारा वहन किया गया।

समूह ने ‘‘न्यूट््रीसोल’’ ब्राण्ड नाम से विपणन का काम शुरू किया है। ‘‘न्यूट््रीसोल’’ यह इंगित करता है कि सोलर ड््रायर के माध्यम से न्यूट््रीशिन का संरक्षण। सदस्यों को स्वच्छतापूर्वक प्रसंस्करण, पैकेजिंग एवं विपणन के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षित किया गया। वर्तमान में, एक सघन जुड़ाव स्थापित करने के उपर ध्यान केन्द्रित कर रहा है। मानसून के समय को छोड़कर पूरे वर्ष में 8-9 महीने पूरी तरह संचालित होने के बाद इस उद्यम से 20-30 प्रतिशत तक लाभ प्राप्त हो सकता है।

सौर उर्जा के प्राकृतिक संसाधनों का सतत् दोहन करने वाला यह एक नया और उभरता हुआ क्षेत्र है। इसके साथ ही, कम लागत संरक्षण लाभप्रद है और मूल्य को बढ़ाने में मदद करने वाला है। फिर भी, उद्यम के सामने बहुत सी चुनौतियां हैं। बरसात के मौसम में, जब हरी सब्ज़िया भरपूर मात्रा में उपलब्ध होती हैं, उस समय बारिश होने के कारण सोलर ड््रायर को बेहतर तरीके से संचालित नहीं किया जा सकता है। निर्जलित सब्ज़ियांे का बाजार बहुत बड़ा होने के बावजूद बाजारों से जुड़ाव अभी भी अपने प्रारम्भिक चरण में है और इसीलिए सुनिश्चित मांग और विपणन चुनौतियां हैं। उद्यम उपभोग के बाद अधिशेष बचने के सिद्धान्त पर कार्य कर रहा है। कभी-कभी मांग में वृद्धि/या किसी अन्य विकृतियांे के कारण किसान अपनी ताजी सब्ज़ियों को बेचकर तुरन्त लाभ कमा लेते हैं। ऐसी स्थिति में सोलर ड््रायर उद्यम को कच्चे माल की कमी सम्बन्धी चुनौती का सामना करना पड़ता है। वर्तमान में, यह उद्यम केवल सीमित आकार के आर्डरों को पूरा कर पाने में सक्षम है।

अपनी सभी सीमाओं के साथ, यह पहल ट््रापिक्स के लिए उपयुक्त पायी गयी है। कच्चे माल की स्थिर आपूर्ति के साथ, यह पहल बड़े पैमाने पर लोगों की मांग को पूरा कर सकती है। इस प्रकार के विकेन्द्रीकृत मॉडल महिलाओं को सशक्त बना सकते हैं, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर सकते हैं और पर्यावरण में भी सकारात्मक योगदान दे सकते हैं।

आभार: यह पायलट पहल राजीव गांधी विज्ञान एवं तकनीकी कमीशन, महाराष्ट््र सरकार द्वारा सहायतित है। इसके विस्तारीकरण को एचएसबीसी साफ्टवेयर डेवलपमेण्ट ;प्द्ध प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से सहयोग प्रदान किया गया। विकेन्द्रीकृत उद्यम मॉडल में उपयोग किया जाने वाला ड््रायर एसफोरएस तकनीक द्वारा विकसित सोलर कंडक्शन ड्ायर है।

राकेश के वारियर एवं महेश एन लाडे


राकेश के वारियर
मुख्य कार्यक्रम अधिशासाी
ई-मेल: rakeshwarrier@baif.org.in

महेश एन लाडे
वरिष्ठ परियोजना अधिकारी
ई-मेल: maheshlade@baif.org.in
बाएफ डेवलपमेण्ट रिसर्च फाउण्डेशन
बाएफ भवन, डा0 मनीभाई देसाई नगर
एनएच 4, वारजे, पुणे - 411 058

Source: Small farmers and safe vegetable cultivation, LEISA India, Vol.22, No.3, September 2020

Recent Posts

कृषि पारिस्थितिकी पर प्रशिक्षण वीडियो: किसानों के हाथ सीखने की शक्ति देना

कृषि पारिस्थितिकी पर प्रशिक्षण वीडियो: किसानों के हाथ सीखने की शक्ति देना

छोटे एवं सीमान्त किसानों के लिए कृषि पारिस्थितिकी ज्ञान और अभ्यासों को उपलब्ध कराने हेतु कृषि सलाहकार सेवाओं को...