विपणन के लिए डिजिटल समाधान

Shobha Maiya

Updated on September 4, 2021

उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं को एक मंच पर लाने के लिए हरियाणा उद्यान विभाग एवं सोर्स ट््रेस डिजिटल प्लेटफार्म समन्वित रूप से काम कर रहे हैं। डिजिटल पहल फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेषनों को बाजार से अधिक मूल्य प्राप्त करने के लिए बात-चीत करने हेतु सषक्त बना रही है, जिससे उत्पादकों को बेहतर प्राप्ति हो रही है।


बागवानी से न केवल किसानों की आर्थिक स्तर में सुधार हुआ है, वरन् इसने मषरूम की खेती, स्ट््राबेरी चुनने, फूलों की खेती एवं सब्जी बीज उत्पादन उद्योग के माध्यम से आजीविका को बढ़ावा देकर महिलाओं के पास पैसा एकत्र करने में भी उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। भारत की कृषि के सकल घरेलू उत्पाद के मात्र 8.5 प्रतिषत कृषि योग्य भूमि से 24.5 प्रतिषत का योगदान इस सेक्टर के गठन से हुआ है। फल एवं सब्ज़ियां दोनों के उत्पादन ने भारत को ताजा एवं नर्म फलों एवं सब्ज़ियों के एक बड़े निर्यातक के तौर पर प्रस्तुत किया है।

यद्यपि औद्यानिक क्षेत्र में ताजा उत्पादों का विषम संतुलन, गोदामों तक परिवहन अथवा अत्यधिक उचित एवं वर्तमान बाजार दरों पर खरीददारों को सीधे बिक्री आदि बिन्दु कृषिव्यापार के लिए चुनौतियां होने के कारण छोटे किसानों के लिए एक बड़ी चिन्ता का कारण है।

फसलों में बदलाव

महामारी ने सब्जी एवं फल खेती उद्योग को बाधित कर दिया है। परिवहन सुविधा बाधित होने के कारण ताजा फलों एवं सब्ज़ियों के नुकसान होने एवं सड़ने-गलने की खबरें हमने बहुतायत में सुनी है। उद्योग के सूत्रों का दावा है कि सब्ज़ियों के बीज की बिक्री में 20-30 प्रतिषत की गिरावट आयी है। परिवहन, सब्ज़ियों की बिक्री, उपकरणों का अभाव, अपने फसलों की कटाई / तुड़ाई के लिए मजदूरों की भारी कमी आदि समस्याओं का सामना कर रहे सब्ज़ियों की खेती करने वाले बहुत से किसान अनाज की खेती करने की तरफ मुड़ गये हैं।

भारतीय राष्ट््रीय बीज संघ के अनुसार, मध्यप्रदेष, उत्तर प्रदेष एवं बिहार जैसे कुछ राज्यों में किसान सब्ज़ियों की खेती के बजाय मक्के की खेती की तरफ अग्रसर हो रहे हैं। भारतीय राष्ट््रीय बीज संघ ने यह भी उल्लेख किया है कि भिण्डी, कद्दू और लौकी के साथ-साथ टमाटर की खेती को भी बड़ा झटका लग सकता है। यह भी अनुमान था कि पूरे भारत में गोभी की खेती में बड़ी गिरावट आयेगी। इसके विपरीत, मध्यप्रदेष में प्याज के बीजों ने अच्छा प्रदर्षन किया और इसलिए, यह उम्मीद की जाती है कि प्याज की फसल अच्छी होगी।

भारत के सब्जी उत्पादक संघ के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान कृषि उत्पाद बाजार समिति के बन्द हो जाने के कारण, फलों एवं सब्जी उत्पादकों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है और इसीलिए वे सब्जी एवं फलों की खेती करने के प्रति अनिच्छुक हैं। उनमें से बहुत से लोगों ने तो गन्ना के साथ विविधीकृत खेती करना प्रारम्भ कर दिया हैं।

लॉकडाउन के दौरान, महाराष्ट््र के कुछ छोटे व मझोले किसानों ने अपनी ताजा सब्ज़ियों एवं फलों को लोगों को सीधे बेचने के लिए हाउसिंग सोसाइटियों एवं हाउसिंग काम्प्लेक्सों के साथ जुड़ाव स्थापित किया, जिससे उनकी ताजी सब्ज़ियों एवं फलों को इन सोसाइटियों में रहने वाले लोगों के घरों तक पहुंचाया जा सके। स्वाभाविक रूप से, किसानों को सीधे लाभ मिला और उपभोक्ताओं को बेहतर सामान मिला। फिर भी, इस तरह के प्रयोग बहुत सीमित मात्रा में, और उन गांवों में ही किये गये, जो शहर के नजदीक थे।

फल और सब्जी उद्योग में विद्यमान कृषि – तकनीकी

जब बागवानी में तकनीकों को लागू करने की बात आती है, तब डिजिटल तकनीकों का उपयोग प्रमुख रूप से तीन तरीकों से किया गया- पहला, खेतों के डिजिटाइजेषन से खेत से उत्पादन, कीट नियंत्रण, इन्वेण्ट््री प्रबन्धन एवं रख-रखाव एवं निगरानी से सम्बन्धित अपनी सभी क्रियाओं के उपर किसानों को एक अवलोकन प्रदान करना। दूसरा, मृदा, पर्यावरण और फसल के विभिन्न मानकों को रिकार्ड करने के लिए सेन्सिग तकनीक का उपयोग करते हुए आंकड़ा संचालित निर्णय लेने के साथ उत्पादकों द्वारा जलवायु स्मार्ट खेती करना। एवं तीसरा, मुख्य रूप से मूल्यों के बारे में चेतावनी, कृषिगत समाचारों, जहां तक संभव हो स्थानीय भाषाओं में सरकारी मण्डी मूल्यों, विक्रेताओं से किसानों को जोड़ने एवं चर्चा के माध्यम से मूल्य संवर्धन की संभावना तलाषने हेतु कृषि बाजार स्थान बनाना।

जल, उर्जा, उर्वरकों एवं कीटनाषकों पर लगने वाली लागत में कमी, मौसमी परिस्थितियों के अनुरूप खेती कार्य करते हुए एवं उचित समय पर कटाई कर उत्पादों को नुकसान होने से रोकना एवं स्वचालित प्रक्रियाओं के माध्यम से खेती के नियमित कार्यों में सुधार लाना इस के प्रमुख परिणाम हैं। इसके अतिरिक्त, सही समय पर फसलों से सम्बन्धित चेतावनी मिल जाने से किसानों को वांछित उपज प्राप्त करने में भी आसानी हुई है।

किसानों को डिजिटल रूप से संगठित करना

बागवानी करने वाले किसानों की मदद करने के लिए लघु किसान कृषि-व्यापार संघ एवं हरियाणा औद्यानिक विभाग ने सोर्स ट््रेस के माध्यम से डिजिटल समाधानों को नियुक्त किया है। हरियाणा औद्यानिक विभाग किसानों एवं खेतिहर समुदायों के कल्याण के लिए रिस्पान्सिव एवं संचालनात्मक तंत्र प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। ये संगठन किसानों के जीवन की प्रगति के लिए सूचना प्रौद्योगिकी को बढ़ाने के उपकरण तथा राज्य में फार्मर प्रोड्यूसर संगठनों के प्रबन्धन की आवष्यकता को पहचानते हैं। इस परियोजना में लगभग 100000 किसानों की प्रोफाइल व उनके खेतों का डिजिटलीकरण शामिल है।

लघु किसान कृषि व्यापार संघ, भारत के प्रबन्ध निदेषक डॉ0 अर्जुन सिंह सैनी कहते हैं, ‘‘कृषि में सूचना प्रौद्योगिकी के सघन उपयोग के माध्यम से किसान समुदायों को सषक्त करना हमारा उद्देष्य है, हम एक ऐसे परिदृष्य की परिकल्पना करते हैं, जहां किसान और फार्मर प्रोड्यूसर संगठनों के सदस्य बागवानी सेवाओं तक आसानी से और त्वरित पहुंच सुनिष्चित करने के लिए सोर्स ट््रेस जैसे व्यापक मंचों के लाभों को प्राप्त करने तथा राज्य में किसानों के लिए बेहतर गुणवत्ता वाले जीवन प्रदान करने में अग्रणी भूमिका निभाने में सक्षम होंगे।’’

किसानों को बहु-आयामी प्रोत्साहन

प्रचुर मात्रा में फसलों का लाभ उठाने के लिए, हरियाणा औद्यानिक विभाग एवं सोर्स ट््रेस डिजिटल प्लेटफार्म ने बाजार से जुड़ाव स्थापित करने, उत्पादकों एवं खरीददारों को एक मंच पर लाने, खरीददारों को सीधे फार्मर प्रोड्यूसर संगठनों एवं किसानों से ताजा उत्पाद खरीदने में सक्षम बनाने हेतु साथ मिलकर काम किया। विभाग संभावित खरीददारों जैसे- निर्यातक, मण्डी खरीददार, स्थानीय फुटकर व्यापारी आदि को पोर्टल पर अपना पंजीकरण करने तथा उसके बाद फिल्टर का उपयोग करते हुए उत्पाद से सम्बन्धित जानकारियों जैसे- जिला, फसल, प्रजाति, श्रेणी एवं एफपीओ के बारे में जानने हेतु प्रोत्साहित करता है। उत्पादकों का डिजिटाइज्ड प्रोफाइल एफपीओ में सम्पर्क व्यक्ति के विस्तृत विवरण के साथ ही वास्तविक समय में उत्पाद की उपलब्ध मात्रा के प्रदर्षन हेतु सक्षम बनाता है, जिससे डील को बन्द करने हेतु खरीद प्रक्रिया को छोटा किया जा सके।

सबसे पहले, कीटों एवं फसल की बीमारियों के प्रबन्धन पर समय से और नियमित सलाह के अभाव को ध्यान में रखते हुए किसान मोबाइल एप्लीकेषन के माध्यम से फसल आधारित सलाह प्राप्त करने हेतु किसानों/उत्पादकों को विषेषज्ञों के साथ जोड़ा गया। उनके मोबाइल सेवाओं को आसानी से उपयोग करने हेतु सरलीकृत एवं सुनिष्चित करने के लिए, लचीलापन, स्थानीय भाषाओं एवं विषेषज्ञों तक त्वरित पहुंच की आवष्यकता को ध्यान में रखते हुए यूजर इण्टरफेस डिजाइन किया गया है।

डिजिटल प्लेटफार्म न केवल बिचौलियों को हटाता है, वरन् यह उत्पादकों को उनके उत्पादों का बेहतर मूल्य भी दिलाता है।

एप्लीकेषन को गूगल प्ले स्टोर से आसानी से डाउनलोड किया जाता है और सरल पंजीकरण प्रक्रिया किसान को कीटों और बीमारियों के मेनू तक पहुंचने में मदद करती है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की संस्तुति एवं संयोजन में सिस्टम में पहले से लोड की गयी प्रमुख कीटों एवं बीमारियों की तस्वीरों का उपयोग कर इसे संभव बनाया गया है। उपयोगकर्ता खेत में कीट/बीमारी का मिलान आसानी से कर सकते हैं और पहले से उपलब्ध संस्तुतियों/समाधानों का उपयोग कर सकते हैं। यदि समाधान पहले से नहीं मौजूद हैं, तो उत्पादक/किसान प्रभावित पौध की एक फोटो लेकर उसे टिप्पणी के साथ अपलोड कर सकते हैं। यह सूचना कृषि विभाग के विषेषज्ञ या वैज्ञानिक को निर्देषित की जाती है, जो किसान को दी गयी सलाह का जवाब एसएमएस के माध्यम से देता है।

दूसरे, यह डिजिटल प्लेटफार्म हरियाणा राज्य में किसानों को फार्मर प्रोड्यूसर संघों एवं उनके सम्बन्धित समूहों ;456 समूहों ने भाग लियाद्ध से जोड़ता है और विभाग को समूहों/एफपीओ/किसानों के उपर एक अवलोकन प्रदान करता है। विवरण में फसल, उत्पादन, निवेष का उपयोग एवं वैध योजनाओं पर वास्तविक आंकड़े शामिल हैं। किसान एप के माध्यम से किसानों को सरकारी योजनाओं की जानकारी देने, बीजों पर किसी भी प्रकार की जानकारी देने एवं सलाह देने के लिए औद्यानिक विभाग के लिए एक उपकरण के तौर पर भी यह कार्यक्रम काम करता है।

अन्त में, समाधान फार्मर प्रोड्यूसर संगठनों को सभी सदस्य किसानों के उपज को इकट्ठा करने और प्रत्याषित ग्राहकों को बेचने हेतु सषक्त करता है। उत्पादों की कुछ विषिष्ट प्रकारों की अधिक मात्रा होने के कारण, फार्मर प्रोड्यूसर संगठन बाजार से अधिक मूल्य प्राप्त करने हेतु ग्राहकों के साथ मोल-भाव भी कर सकता है, जिससे उत्पादकों को अधिक मूल्य मिल जाता है।

कम्पनी में, अभी तक 46000 एकड़ भूमि पर विभिन्न प्रकार की 60 से अधिक सामग्रियों के साथ 34382 किसान शामिल हैं।

उत्पादकों के साथ द्विपक्षीय संचार

आनलाइन कार्यक्रम में प्रमुख कीटों एवं बीमारियों के साथ उनके एडवायजरी समाधानों को शामिल किया जाता है। ये समाधान आम तौर पर सिस्टम में पहले से भरे गये रहते हैं। जब खेत में मौजूद कीट/बीमारी, सिस्टम में भरे गये कीट/बीमारी से मेल खाते हैं तब किसान आसानी से समझने और त्वरित कार्यवाही करने के लिए सिस्टम में दिये गये उपयुक्त समाधान को अपने स्थानीय भाषा में अपना सकता है।

यदि यह मेल नहीं खाता है तब किसान अपने फोन का उपयोेग करते हुए अपनी फसल का तुरन्त फोटो लेता है और उसे अपनी टिप्पणी के साथ अपलोड कर देता है। कृषि विभाग के विषेषज्ञ/ वैज्ञानिक के पास एक नोटिफिकेषन के रूप में यह अपलोडेड सामग्री तुरन्त पहुंच जाती है। इसके बाद, प्रक्षेत्र विषेषज्ञ/वैज्ञानिक मुद्दे पर प्रतिक्रिया देता है और एक एडवायजरी भेजता है, किसान संदेष प्राप्त करता है कि, आप द्वारा अनुरोध किये गये मुद्दे को प्राप्त किया गया और तिथि एवं उत्पाद सहित इसका समाधान किया जाता है। संस्तुत कार्यवाहियों के लिए एप्लीकेषन को जांचने हेतु भी किसान को समय-समय पर एसएमएस के माध्यम से नोटिफिकेषन भेजा जाता है, जिससे किसानों को सही समय पर सटीक जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलती है।

फार्मर प्रोड्यूसर संगठन मोबाइल आधारित तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं

किसानों के विवरण को संगठित करना, उनके खेतों की जियो-फेन्सिंग करना, फसल उत्पादन एवं निवेष पर वास्तविक आंकड़ा प्राप्त करना सभी को सहज रूप से संभव बनाया गया है। क्लस्टर आधारित मौसम सम्बन्धी सूचनाओं पर नियमित चेतावनी एवं एसएमएस संदेष के रूप में भेजे गये परामर्ष ने डिजिटलीकृत आंकड़ों की अन्तर्दृष्टि के आधार पर रणनीतिक व्यवसायिक निर्णय लेना संलग्न 384 फार्मर प्रोड्यूसर संगठनों के लिए आसान बना दिया है।

बाजार से जुड़ाव को संभव बनाया

फार्मर प्रोड्यूसर संगठन संभावित खरीददारों के लिए उपलब्ध उत्पादों को प्रकाषित करने में सक्षम थे, जिससे लेन-देन सरल और ऑनलाइन हो गया। इसने न केवल बिचौलियों को हटाया, वरन् किसान अपने उत्पादों का उचित मूल्य भी प्राप्त कर सकते थे।

किसानों को बाहरी दुनिया से जोड़ना

मोबाइल एप में पहले से डाली गयी भाषाएं, फसलों, बीजों, खरीददारों से सम्बन्धित सूचनाओं तक पहुंच बनाने और कम समय से फसल वैज्ञानिकों तक पहंुचने हेतु किसानों को सक्षम बनाती हैं। वे एक स्रोत के तहत् आसानी से उपलब्ध और समझने के लिए संभव इस मोबाइल एप से फसल विषेष कीटों एवं बीमारियों पर वास्तविक सलाह प्राप्त करते हैं, नवीन कृषि निवेषों एवं मषीनों पर अद्यतन जानकारी प्राप्त करने हेतु विषेषज्ञों की सहायता लेते हैं और सरकार अथवा बैंकों द्वारा दी जा रही विभिन्न योजनाओं एवं लाभों के बारे में भी जानकारी प्राप्त करते हैं।

वेण्केट मरोजू


वेण्केट मरोजू
सोर्स ट््रेस कारपोरेट मुख्यालय
125 कैम्ब्रिज पार्क ड््र्राइव
सूइट 301, कैम्ब्रिज,
मैसाचुसेट्स 02140, यूएसए
ई-मेल: vmaroju@sourcetrance.com

Source: Small farmers and safe vegetable cultivation, LEISA INDIA, Vol. 22, No. 3, September 2020

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