लघु उद्योगों के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं का आर्थिक सशक्तीकरण

Updated on June 4, 2023

अधिकांश ग्रामीण महिलाएं भूमिहीन होती हैं। वे निर्विवाद रूप से खेतिहर मजदूर के तौर पर काम करती हैं। महिलाआंे के सशक्तिकरण के ऊपर काम करने वाली एक स्वयंसेवी संस्था संस्कृति संवर्धन मण्डल ने महाराष्ट््र में सगरोली की महिलाओं को उनका उद्यम चलाने हेतु आवश्यक वित्तीय सहयोग देकर उन्हें आर्थिक दृष्टि से सशक्त बनाने की दिशा में सहायता की।


महाराष्ट््र के नान्देड जिले में बिलोली में स्थित 2046 घरों वाला सगरौली एक बड़ा गांव है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, इस गांव की कुल जनसंख्या 8494 में से महिलाओं की जनसंख्या 3796 है। गांव में औसत जोत आकार 1.24 हेक्टेयर है। यहां की खेती वर्षा आधारित है, जिस कारण यहां पर दो फसली खेती होती है, शेष समय यहां लोगों के पास कोई काम नहीं होता है।

संस्कृति संवर्धन मण्डल ;एस0एस0एम0द्ध इस क्षेत्र में शिक्षा, आजीविका, कौशल विकास, कृषि और प्राकृतिक संसाधन प्रबन्धन जैसे विषयों पर अथक प्रयास कर रहा है। इनसे 500 महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन किया। एस0एस0एम0 द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र का गृह विज्ञान विभाग, गठित स्वयं सहायता समूहों को स्वास्थ्य और उद्यमिता के क्षेत्र में तकनीकी सहायता प्रदान करता है। कृषि विज्ञान केन्द्र परिधान, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि उपज प्रसंस्करण और पैकेजिंग, बैकयार्ड मुर्गी पालन, बकरी पालन, डेयरी आदि में नियमित अन्तराल पर आवश्यकता आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करता है। ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों की अवधि 1 दिन से लेकर 3 माह तक की होती है।

सरल पुर्नभुगतान तंत्रों को शामिल करते हुए एस0एस0एम0 वर्ष 2015-16 से प्रत्येक वर्ष 5-10 ग्राम आधारित लघु उद्यमों को अपना व्यापार बढ़ाने हेतु ब्याज मुक्त वित्तीय सहयोग प्रदान की है। एस0एस0एम0 ने वित्तीय सहयोग एवं विपणन के माध्यम से उनकी सहायता की है। परिणामतः उद्यमियों की आमदनी में प्रतिवर्ष 20-40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दृष्टि, मुम्बई द्वारा सहायतित एक परियोजना इम्ब्रेस के माध्यम से इस गतिविधि को मजबूती प्रदान की गयी है। परियोजना के मुख्य उद्देश्य हैं –

* ग्रामीण महिलाओं को अपने परिवार का सहयोग करने हेतु व्यापार आरम्भ करने हेतु प्रोत्साहित करना।
* जरूरतमन्द ग्रामीण महिलाओं/युवाओं को उद्यम प्रारम्भ करने हेतु वित्तीय सहयोग प्रदान करना।
* ग्रामीण परिवारों का वित्तीय बोझ कम करना।

पहल
एस0एस0एम0 ने सावित्रीबाई फुले महिला विकास मण्डल के माध्यम से अक्टूबर 2019 से 42 ग्राम आधारित कुटीर उद्योगों की सहायता की है। सूक्ष्म उद्यमियों और इच्छुक महिलाओं को प्रबन्धन लागत के तौर पर प्रतिवर्ष 3 प्रतिशत ब्याज के साथ वित्तीय सहयोग प्रदान किया गया। महिला मण्डल की भूमिका ऐसे उद्यमियों की पहचान करना और आवश्यक प्रसंस्करण करना था।

ग्राम सगरौली और उसके आस-पास के कुल 51 महिला एवं युवाओं ने ऋण के लिए महिला मण्डल को आवेदन दिया। मण्डल ने लाभार्थियों का चयन करने के लिए तीन सदस्यों की एक समिति गठित की। अक्टूबर, 2019 के दौरान 15 लाभार्थियों के प्रथम बैच का चयन किया गया। इसी प्रकार 20 लाभार्थियों के द्वितीय एवं 7 लाभार्थियों के तृतीय बैच का चयन किया गया। इस प्रकार इम्ब्रेस परियोजना के तहत् कुल 42 लाभार्थियों का चयन किया गया।
व्यापार की गुंजाइश, उनकी पुनर्भुगतान क्षमता एवं समग्र पृष्ठभूमि के आधार पर पूरी कानूनी प्रक्रिया के साथ लाभार्थियों का चयन किया गया। ऋण की धनराशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में जमा की गयी थी।

सभी लाभार्थियों को अलग-अलग व्यवसायों में बांटा गया (तालिका सं0 1 देखें)। इसमें परिधान (कपड़ों की सिंलाई और गारमेण्ट व्यापार, फुटकर ;किराना, जनरल स्टोर, लेडीज इम्पोरियम, चूड़ी केन्द्र आदि), पशुपालन (बकरी पालन, दुग्ध व्यवसाय एवं मत्स्य पालन), हस्तशिल्प (बुरूड) एवं फर्नीचर एवं खाद्य प्रसंस्करण (दाल मिल, मसाला बनाने की इकाई, आटा चक्की, तेल निकालने की मशीन आदि)। वर्ष 2019-20 में लगभग 35 महिलाओं ने तथा वर्ष 2021 में 7 महिलाओं ने अपना व्यापार शुरू किया।

तालिका सं0 1: व्यापार एवं उद्यम

क्रमांक व्यवसाय/व्यापार संख्या
2019-20 2021
1 गारमेण्ट        7        1
2 फुटकर       16         –
3 पशुपालन        10          –
4 हस्तशिल्प          2          –
5 खाद्य प्रसंस्करण          –          5
6 मत्स्य पालन          –           1
कुल         35           7

 

वर्ष 2019-20 में 35 में से 16 लोगों ने फुटकर उद्योग जैसे- किराना की दुकान, नाई की दुकान, विद्युत की दुकान, मोबाईल शाप, चूड़ी केन्द्र, जनरल स्टोर आदि खोला, जबकि 10 लाभार्थियों नें पशुपालन जैसे- दुग्ध व्यवसाय एवं मुर्गी पालन करना प्रारम्भ किया एवं अन्य में से 7 ने परिधान के क्षेत्र में तथा 2 लाभार्थियों ने हस्तशिल्प और फर्नीचर का उद्यम अपनाया।

वर्ष 2021 में 7 लाभार्थियों में से 5 ने खाद्य प्रसंस्करण से सम्बन्धित उद्यम लगाया। उन्होंने दाल मिल, आटा चक्की, मसाला बनाने वाली इकाईयां, खाद्य पैकेजिंग एव ंतेल निकालने वाली इकाई लगाई, जबकि एक लाभार्थी ने गारमेण्ट की दुकान शुरू की और एक अन्य ने अपने पहले से मत्स्य पालन व्यापार के लिए मछली पकड़ने की जाल खरीदी।

ऋण धनराशि की श्रेणियां: सभी उद्यमों को ऋण धनराशि की विभिन्न श्रेणियों के अन्तर्गत वर्गीकृत किया गया था। गारमेण्ट व्यवसाय के अन्तर्गत अधिकांश लगभग 14.28 प्रतिशत उद्यमियों को रू0 40,001/- से 70,000/- की सीमा में ऋण दिया गया जबकि केवल 7.14 प्रतिशत उद्यमियों को रू0 20,001/- से 40,000/- की सीमा में ऋण मिला। फुटकर व्यापार के अन्तर्गत अधिकतम अर्थात 21.42 प्रतिशत उद्यमियों को रू0 20,001/- से 40,000/- के बीच ऋण दिया गया जबकि रू0 40,001/- से 70,000/- के बीच ऋण पाने वालों का प्रतिशत 9.52 था और मात्र 4.76 प्रतिशत लोग ही ऐसे थे, जिन्होंने रू0 20,000/- कम ऋण लिया। पशुपालन व्यवसाय में, 19.04 प्रतिशत उद्यमियों को रू0 40,001/- से 70,000/- के बीच ऋण लाभ मिला और 7.14 प्रतिशत लोग रू0 20,001/- से 40,000/- के बीच ऋण राशि से लाभान्वित हुए। खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में 7.14 प्रतिशत उद्यमी रू0 40,001/- से 70,000/- के बीच ऋण राशि से लाभान्वित हुए जबकि 2.38 प्रतिशत मात्र 1 लाभार्थी को 20,001/- से 40,000/- के बीच ऋण मिला और मात्र 2.38 प्रतिशत अर्थात् 1 लाभार्थी को रू0 70,001/- से उपर ऋण मिला। हस्तशिल्प और फर्नीचर व्यवसाय के अन्तर्गत दा व्यवसायियों में से 1 व्यवसायी को रू0 20,001/- से रू0 40,000/- के बीच ऋण मिला और दूसरा लाभार्थी रू0 40,001/- से 70,000/- के बीच ऋण राशि से लाभान्वित हुआ ;देखें तालिका सं0 2द्ध। यह देखा गया कि 35 उद्यमियों में से 21 उद्यमियों को उनके मौजूदा व्यवसाय से प्रतिवर्ष रू0 24,000/- से 1,80,000/- के बीच (औसतन रू0 47,714.29) शुद्ध लाभ की प्राप्ति हुई। जबकि अन्य जिन्होंने पहली बार व्यापार शुरू किया था, उन्हें कोई आमदनी नहीं हुई। इम्ब्रेस परियोजना से ऋण प्राप्ति के बाद, सभी उद्यमियों ने या तो नया व्यापार शुरू किया या अपने पुराने व्यापार को बढ़ाया और प्रतिवर्ष औसतन रू0 88,514.29 तक का लाभ प्राप्त किया जो रू0 24,000/- से 2,20,000/- के बीच था। यद्यपि सभी उद्यमियों की आय में औसत वृद्धि लगभग रू0 40,800/- हुई।

प्रेरणादायक कहानियां
महादेवी संजय कोटनाद एक बहुत सक्रिय महिला हैं, जो अपने पति और दो बच्चों के साथ सरगोली में रहती हैं। उनके पति एक विद्यालय में चपरासी का कार्य करते हैं, जहां उन्हें बहुत कम वेतन मिलता है, जो उनकी दैनिक आवश्यकताआंे की पूर्ति के लिए अपर्याप्त है। ऐसे में महादेवी ने अपने परिवार का सहयोग करने का निश्चय किया। वे सिलाई बहुत अच्छी करती हैं। उन्होंने अपने आस-पास के लोगों का कपड़ा सिलना प्रारम्भ किया। उन्हें अच्छे परिणाम मिलने लगे। बाद में, उन्होंने अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए बाजार के नजदीक एक दुकान किराये पर लेना चाहा, लेकिन इसमें एक लाख रू0 निवेश करने की आवश्यकता थी। वे केवल रू0 50,000/- की ही व्यवस्था कर पाईं। शेष धनराशि को प्राप्त करने के लिए उन्होंने संस्कृति संवर्धन मण्डल में इम्ब्रेस परियोजना के अन्तर्गत ऋण सहयोग हेतु आवेदन किया। अब, उनकी दुकान पर सिलाई-कटाई के साथ महिलाओं से सम्बन्धित सभी प्रसाधन सामग्री मौजूद हैं और वे प्रभावी ढंग से अपना व्यापार चला रही हैं। उनकी दुकान का नाम ‘‘गौरी लेडीज इम्पोरियम’’ है। दुकान के लिए नान्देड व निजामाबाद से सामान लाने में उनके पति उनका सहयोग करते हैं। इस दुकान को स्थापित करने से पहले, वह औसतन रू0 1,000/- प्रति माह कमा पाती थीं। अब वह प्रति माह रू0 6,000/- लाभ अर्जित करने में सक्षम हो गयी हैं। वह अब अधिक आत्मविश्वास युक्त हो गयी हैं और बहुत प्रसन्न हैं। वह अपने लाभ को और अधिक सामग्री खरीदने में लगाती हैं। उन्होंने इस लाभ से अपने दुकान के लिए एक काउण्टर खरीदा है।

प्रगति टेक्सटाइल्स एक सिलाई इकाई है, जो 2015 में प्रारम्भ हुई थी। कृषि विज्ञान केन्द्र से विभिन्न प्रकार के बैग बनाने पर प्रशिक्षण प्राप्त कर श्रीमती शान्ता हारले, श्रीमती सुषमा मुत्तेपोड, श्रीमती सुनीता कोलनुरे एवं श्रीमती मोसिना कोरबो नामक चार महिलाओं के समूह ने इस इकाई को प्रारम्भ किया था। इन महिलाओं ने यूनीफार्म, विभिन्न प्रकार के बैग, रसोई एप्रन, पेटीकोट, सन कोट और खेतिहर महिलाओं के लिए श्रम कम करने की दिशा में कपास चुनने वाले एप्रन, सोयाबीन तोड़ने वाले दास्ताने आदि सिलना प्रारम्भ किया। इन कपड़ों के अलावा ये महिलाएं अपनी दुकान पर महिलाओं की दैनिक जरूरतों के भी कुछ सामान रखना चाहती थीं। लेकिन दुकान छोटी होने के कारण वे इसे शुरू नहीं कर सकीं। जब उन्हें इम्ब्रेस परियोजना के अन्तर्गत दृष्टि से रू0 50,000/- का वित्तीय सहयोग मिला, तब इन महिलाओं ने दिसम्बर, 2019 में एक नयी दुकान किराये पर ली। उन्होंने महिलाओं और लड़कियों से सम्बन्धित कुछ दैनिक आवश्यकता की वस्तुओं को खरीदा। उन्होंने विभिन्न प्रकार के बैग बनाने के लिए अधिक सामग्री खरीदी। पहले वे जहां विशेषकर वर्दी की सिलाई कर प्रति वर्ष रू0 1,50,000/- आय अर्जन करती थीं। वहीं अब वे प्रतिदिन औसतन रू0 1,000/- का सामान बेच लेती हैं। प्रगति टेक्सटाइल्स इकाई अन्य महिलाओं को प्रशिक्षित भी करती है। दुर्भाग्य से, कोविड 19 के समय लॉकडाउन लग जाने के कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ा।

इसके अलावा जुलाई 2020 में, खेतिहर महिलाओं के श्रम को कम करने के लिए बने सोयाबीन तोड़ने के दास्ताने एवं कपास तोड़ने वाली एप्रन के परिणामों पर विचार करते हुए, मराठवाड़ा और विदर्भ जोन में राज्य कृषि विभाग ने अपने अन्दर संचालित कृषि में जलवायु अनुकूलन पर एक परियोजना के तहत् कृषि विज्ञान केन्द्र, सरगोली को 1563 कपास तोड़ने वाली एप्रन तथा सोयाबीन तोड़ने के लिए दस्ताने बनाने का आर्डर दिया। कृषि विज्ञान केन्द्र ने प्रगति टेक्सटाइल्स के सदस्यों को प्रशिक्षित किया और सरगोली एवं उसके आस-पास के गांवों से 50 जरूरतमन्द महिलाओं को सूती कोट और दस्ताने सिलने पर प्रशिक्षित किया। प्रगति महिलाओं के नेतृत्व में सभी महिलाओं ने कठिन श्रम किया और एक माह के अन्दर आर्डर को पूरा किया। कपास तोड़ने वाले एप्रन का दर रू0 270/- था जबकि सोयाबीन तोड़ने वाले दास्ताने के जोड़े का मूल्य रू0 170/- था। कपास कोट सिलने का प्रति पीस रू0 80/- चार्ज था और दास्ताने के जोड़े सिलने का चार्ज रू0 50/- था। इस प्रकार 54 महिलाओं के इस समूह ने इन एप्रनों और दास्तानों को सिला और सिलाई चार्ज कुल रू0 2,50,000/- प्राप्त किया। प्रगति टेक्सटाइल्स समूह को रू0 1,50,000/- मिला। वे बहुत प्रसन्न हुईं और वे भविष्य में अपने कार्य में और सुधार करना चाहती हैं।

माधुरी रेवनवार


माधुरी रेवनवार
वैज्ञानिक (गृह विज्ञान)
संस्कृति सवंर्धन मण्डल का
कृषि विज्ञान केन्द्र, सगरौली,
तालुका- बिलोली, जिला- नान्देड
ई-मेल: madhuri.kvksagroli@gmail.com

Source: Renewal Energy in Agriculture, LEISA India, Vol.24, No.4, Dec.2022

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