कृषि पारिस्थितिकी पर प्रशिक्षण वीडियो: किसानों के हाथ सीखने की शक्ति देना

Updated on December 4, 2023

छोटे एवं सीमान्त किसानों के लिए कृषि पारिस्थितिकी ज्ञान और अभ्यासों को उपलब्ध कराने हेतु कृषि सलाहकार सेवाओं को सशक्त करना कृषि पारिस्थितिकी और जैविक खेती की ओर बदलाव के लिए महत्वपूर्ण है। डिजिटल शिक्षण उपकरण किसानों को कृषि पारिस्थितिक अभ्यासों पर प्रशिक्षित करने, किसानों की अगुवाई में किये जा रहे प्रयोगों और स्थानीय नवाचारों को प्रोत्साहित करने तथा उन कृषि पारिस्थितिकी को बढ़ाने का एक लागत-प्रभावी माध्यम है।


पारिस्थितिकी खेती में सघन ज्ञान की आवश्यकता होती है, यह जटिल है और साझा करना कठिन होता है। अपनी स्वयं की भाषा में प्रासंगिक कृषिगत ज्ञान एवं जानकारियांे तक कम पहुंच रखने वाले विशेषकर लघु एवं सीमान्त किसान, ग्रामीण महिलाएं एवं युवाओं को बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और वे इन संसाधनों के लिए व्यग्र हैं। स्थानीय खाद्य प्रणालियों के लिए इन किसानों की ज्ञान एवं दक्षता को सशक्त करना महत्वपूर्ण है।

तथापि, किसानों के लिए प्रसार कार्यकर्ताओं की कमी के चलते, प्रसार सेवाओं का लाभ उठाने वाले किसानों की संख्या बहुत कम है। इस बात का अन्दाजा हम इससे लगा सकते हैं कि भारत में 1162 किसानों पर मात्र 1 प्रसार कार्यकर्ता है। कृषि के हरित क्रान्ति मॉडल को सहयोग प्रदान करने के लिए दशकों से शोध आधारित प्रसार सेवाएं दी जा रही हैं और इसीलिए ये सही दिशा में नहीं हैं और न ही कृषि-पारिस्थितिकी की ओर बदलाव हेतु सहयोग प्रदान करने हेतु दक्षता और जानकारी ही दे रही हैं। यद्यपि कुछ विकास कार्यक्रमों में कृषि पारिस्थितिकी पर किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम हैं, लेकिन उनकी पहुंच बहुत सीमित है। ऐसी स्थिति में, छोटे और सीमान्त किसानों के लिए कृषि पारिस्थितिकी ज्ञान और अभ्यासों को उपलब्ध कराने हेतु कृषि सलाहकार सेवाओं को मजबूत करना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

जैसे-जैसे नयी-नयी सूचना एवं संचार तकनीकें तेजी से उपलब्ध हो रही हैं, यह अनुभव बढ़ने लगा है कि कृषि पारिस्थितिकी और जैविक खेती को बदलाव के लिए अधिक किसानों तक पहुंचने हेतु गुणवत्तापूर्ण डिजिटल शिक्षण उपकरणों का उपयोग किया जाना चाहिए। इसी क्रम में किसानों को कृषि पारिस्थितिकी अभ्यासों पर प्रशिक्षित करने, किसानों की अगुवाई में होने वाले प्रयोगों एवं स्थानीय नवाचारों को प्रोत्साहित करने और कृषि पारिस्थितिकी को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने हेतु वीडियो द्वारा प्रशिक्षण दिया जाना एक लागत प्रभावी तरीका है।

वीडियो-मध्यस्थता से सीखने की शक्ति
कृषि पारिस्थितिकी और जैविक खेती पर काम करने वाली एक गैर लाभकारी संस्थान एक्सेस एग्रीकल्चर, ने स्पष्ट रूप से यह प्रदर्शित किया है कि कृषि पारिस्थितिकी पर किसानों का ज्ञान वर्धन करने, देशों एवं संस्कृतियों के बीच आपस में सीखने तथा किसानों को प्रयोग करने और प्रसार कार्यकर्ताओं द्वारा किसान से किसान तक प्रसार करने की दिशा में व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देने हेतु वीडियो एक बहुत प्रभावी माध्यम हो सकता है।

एक्सेस एग्रीकल्चर गुणवत्तापूर्ण किसान से किसान तक प्रशिक्षण पर साउथ-साउथ एक्सचेन्ज नाम से स्थानीय भाषा में वीडियोज बनाता है। एक्सेस एग्रीकल्चर द्वारा 90 से अधिक भाषाओं में 225 से अधिक वीडियोज को ूूूण्ंबबमेेंहतपसजनतमण्वतह से मुफ्त में डाउनलोड किया जा सकता है। यह सभी के लिए खुला मंच है।

एक-दूसरे से सीखना और नये विचारों को अपनाना किसानों को पसन्द है, इस सिद्धान्त को आधार मानकर एक्सेस एग्रीकल्चर किसानों के सामने सामान्य रूप से आने वाली चुनौतियों तथा उन चुनौतियों से निपटने हेतु समाधान के उपायों तथा सामाजिक समन्वय एवं संस्थागत नवाचारों को वीडियों के माध्यम से प्रदर्शित करते हैं। इन वीडियोज़ को तैयार करने के दौरान भाषा को सरलतम रखने का प्रयास किया गया है ताकि ग्रामीण लोगों को आसानी से समझ में आ जाये।

इन वीडियोज में किसानों की जानकारी और वैज्ञानिक ज्ञान को मिलाकर तार्किक ढंग से चरण-दर- चरण प्रारूप का पालन करते हुए सशक्त किसानों के माध्यम से स्थाई कृषिगत नवाचारों पर व्यवहारिक जानकारी एवं सलाह प्रदान किये गये हैं। वीडियोज में क्या करना है यह तो बताया ही जाता है साथ ही जैविक और भौतिक प्रक्रियाओं एवं सिद्धान्तों को रेखांकित करते हुए यह भी बताया जाता है कि क्यों इसी विशिष्ट तरीके से समाधान किया जाये ताकि अन्य किसान इससे सीख लेते हुए अपने सन्दर्भों में इसका उपयोग कर सकें।

ये वीडियो स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर स्थानीय हितभागियों द्वारा प्रस्तावित विषयों की एक विस्तृत श्रंृखला को आच्छादित करते हैं। स्थाई कृषि पद्धतियों के अलावा, वीडियो में फसल कटाई के बाद, विपणन और प्रसंस्करण जैसे विषयों को भी शामिल किया गया है, जो कृषक परिवारों को अतिरिक्त आय प्रदान करते हैं। मानव स्वास्थ्य और पोषण, पारम्परिक पशु स्वास्थ्य अभ्यासों का उपयोग करने के तरीके तथा जलवायु परिवर्तन अनुकूलन जैसे विषयों पर भी वीडियो बनाये गये हैं।

वर्ष 2012 से चलाये जा रहे वीडियो आधारित सीख माध्यम से 100 से अधिक देशों में लगभग 90 मिलियन छोटी जोत के किसानों तक पहुंच बनायी जा चुकी है।

वीडियो के माध्यम से पशु स्वास्थ्य पर प्रमाणित पारम्परिक जानकारियों को साझा करना और अभ्यास करना
एक्सेस एग्रीकल्चर ने पशु स्वास्थ्य एवं देख-भाल में जड़ी-बूटी आधारित दवाओं पर किसान प्रशिक्षण वीडियोज की एक श्रृंखला बनाने हेतु पुुणे, महाराष्ट््र ;भारतद्ध की एक महिला पशु चिकित्सकों द्वारा बनायी गयी संस्था अन्थरा के साथ साझेदारी की है। स्थानीय स्तर पर इन वीडियोज को एक्सेस एग्रीकल्चर के एक प्रशिक्षित वीडियो सहयोगी द्वारा बनाया जाता है।

अन्थरा की संस्थापक निदेशक डॉ0 नित्या घाटगे के अनुसार, चूंकि पशु स्वास्थ्य में उपयोग की जाने वाली दवाओं की रोगाणुरोधी जीवाणुओं का सार्वजनिक स्वास्थ्य पर जबरदस्त प्रभाव पड़ता है, इसलिए जनता को एण्टीबायोटिक दवाओं के दुरूपयोग से होने वाले खतरों के बारे में शिक्षित करने का महत्वपूर्ण माध्यम वीडियो हो सकता है।

इस पर विस्तार से चर्चा करते हुए डॉ0 घाटगे ने बताया कि हजारों पशु स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को आमने-सामने प्रशिक्षण दिये जाने के बावजूद अभी भी पशुआंे की पारम्परिक चिकित्सा पद्धति अभ्यासों का स्तर काफी कम है। इसलिए अन्थरा ने जड़ी-बूटी आधारित दवाओं एवं प्राकृतिक पशु स्वास्थ्य एवं देख-भाल पर वीडियोज बनाने हेतु एक्सेस एग्रीकल्चर का सहयोगी बनने का निर्णय लिया।

डॉ0 घाटगे कहती हैं, ‘‘महाराष्ट््र के साथ-साथ अन्य राज्यों में पशुपालकों के बीच ये वीडियोज बहुत अच्छी तरह से प्राप्त हुए हैं। किसान इन वीडियोज को दुबारा चलाने और आवश्यकतानुसार दवाएं बनाने में सक्षम हैं। सहभागी दृष्टिकोण अपनाते हुए, वीडियो बनाने की प्रक्रियाओं में पशुपालकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। वीडियोज भी हमारे प्रशिक्षण कार्यक्रमों का एक अभिन्न अंग बन गये हैं।’’

आगे वह कहती हैं, ‘‘हमने अपने सहयोगी नेटवर्क के माध्यम से महाराष्ट््र में घूमन्तू चरवाहों सहित 20,000 से अधिक पशुपालकों तक पहुंच बना ली है और लगभग इतने ही लोगों तक अन्य राज्यों में भी पहुंच हुई है। आज, हमने प्राकृतिक तरीके से पशु पालन पर एक कार्यक्रम शुरू करने में सहयोग प्रदान करने हेतु महाराष्ट््र सरकार के अधीन पशुपालन विभाग के साथ भी इन वीडियोज को साझा किया।’’

सम्पूर्ण भारत में प्राकृतिक खेती को बढ़ाने हेतु साझेदारी
एक्सेस एग्रीकल्चर ऐसे तरीकों की खोज कर रहा है जिससे सम्पूर्ण भारत में उसके सहयोगी संगठन प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ाने के लिए अपने अनुभवों एवं संसाधनो ंका उपयोग कर सकें। यह अधिक से अधिक वीडियोज का प्रासंगिक भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने तथा एक स्वस्थ स्थाई खाद्य प्रणाली की तरफ बदलाव में सहयोग प्रदान करने हेतु किसानों एवं अन्य सदस्यों के लिए गुणवत्तापूर्ण सीखने के अनुभवों में सहयोग हेतु सहयोगियों के साथ काम करना चाहता है।

भारतीय अनुसंधान परिषद के भारतीय पशु शोध संस्थान में प्रसार शिक्षा के विभागाध्यक्ष डॉ0 महेश चन्दर कहते हैं, ‘‘भारत सरकार बड़े पैमाने पर प्राकृतिक और जैविक खेती में बदलाव का समर्थन कर रही है जिसका लक्ष्य पारिस्थितिक और जैविक उत्पादों के वैश्विक बाजार का बढ़ाना है। कृषि वीडियो तक पहुंच इसमें प्रभावी ढंग से मदद कर सकती है।’’

आगे वे कहते हैं, ‘‘किसान और प्रसार कार्यकर्ता अनुभवी एवं प्रशिक्षित होते हैं, लेकिन वे पारम्परिक कृषि उन्मुख होते हैं। कृषि पारिस्थितिकी और जैविक खेती दृष्टिकोणों पर ज्ञान एवं दक्षताओं के माध्यम से उनकी मानसिकता बदलने की आवश्यकता है और ऐसे समय में ही एक्सेस एग्रीकल्चर के वीडियोज अपना मूल्य साबित कर सकते हैं।’’

प्रसार
युवा ग्रामीण परिवर्तकों के नेटवर्क को तैयार कर उनके माध्यम से एक्सेस एग्रीकल्चर के अन्तिम व्यक्ति तक पहुंचने के मॉडल ने व्यापक पैमाने पर लोगों को अपनी तरफ आकर्षित किया है। ‘‘ग्रामीण पहुंच के लिए उद्यमी’’ के रूप में जाने जाने वाले ये युवा डिजिटल दक्षताओं और किसान प्रशिक्षण वीडियोज को दिखाने हेतु आवश्यक उपकरणों से सुसज्जित होते हैं और किसानों विशेषकर महिलाआंे एवं युवाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के क्रम में ग्रामीण समुदायों के लिए हमेशा उपलब्ध रहते हैं।

ये उद्यमी युवा एक्सेस एग्रीकल्चर के सभी किसान प्रशिक्षण वीडियोज को दिखाने हेतु सौर उर्जा संचालित एक स्मार्ट प्रोजेक्टर का उपयोग करते हैं जिनका उपयोग तकनीक, उर्जा एवं इण्टरनेट की सुविधा विहीन सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में भी इनका उपयोग किया जा सके। वे न केवल अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं, वरन् स्थानीय किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए दुनिया भर से कृषि पारिस्थितिकी पर नये-नये विचारों का भण्डार भी लाते हैं।

वैश्विक दक्षिण में प्रभाव
वर्ष 2015, 2018 एवं 2021 में किये गये सर्वेक्षणों से स्पष्ट होता है कि एक्सेस एग्रीकल्चर वीडियोज का प्रयोग पूरे विश्व में शोध, प्रसार, शिक्षा एवं जमीनी स्तर के 5000 से ज्यादा संगठनों के साथ-साथ वैश्विक दक्षिण के मीडिया हाउसों द्वारा उपयोग किया जा चुका है।

वर्ष 2012 में प्रारम्भ होने के बाद से अब तकएक्सेस एग्रीकल्चर के वीडियो-आधारित सीख दृष्टिकोण की 100 से अधिक देशों के 90 मिलियन छोटी जोत धारकों तक पहुंच हो चुकी है जिससे उन्हें कृषि पारिस्थितिकी सिद्धान्तों और ग्रामीण उद्यमिता के बारे में सीखने में मदद मिली। परिणामतः ग्रामीण आजीविका एवं स्थाई खाद्य प्रणालियों में सुधार हुआ है।

वर्ष 2021 में हुए ऑनलाइन सर्वेक्षण में विभिन्न उत्तरदाताओं द्वारा दिये गये उत्तरों से स्पष्ट होता है कि इसके वैश्विक प्रभाव महत्वपूर्ण रहे हैं। लगभग 50 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वीडियोज से ‘‘किसानों की उपज में सुधार’’ हुआ है। ‘‘बेहतर कीट प्रबन्धन’’, ‘‘मिट्टी का बेहतर स्वास्थ्य’’ एवं ‘‘बेहतर उत्पादन’’ को लगभग 40 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने प्रमुख माना। 30 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं का कहना था कि इससे ‘‘स्थानीय ज्ञान के अधिक उपयोग’’, ‘‘युवाओं की संलग्नता’’, ‘‘बेहतर खाद्य एवं पोषण’’, ‘‘उच्च लाभ’’, ‘‘महिलाओं का सशक्तिकरण’’ एवं ‘‘बेहतर समूह गठन’’ हुआ है।

एक्सेस एग्रीकल्चर मॉडल की लागत-प्रभावशीलता और स्थिरता, साथ ही इसके प्रभाव का पैमाना, ये मुख्य कारण थे, जिनकी वजह से संगठन को स्थाई खाद्य प्रणालियों के लिए 2021 में स्विस सरकार और विश्व खाद्य संगठन अन्तर्राष्ट््रीय नवाचार पुरस्कार प्राप्त हुआ। सामुदायिक प्रभाव में उत्कृष्टता के लिए वर्ष 2022 में एरेल वैश्विक खाद्य नवाचार पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

सन्दर्भ
वान मेले पी, ओक्रे एफ, वानवोएके जे, फौसेनी बारेस एन, मैलोन पी, रोजर्स जे, रहमान ई एवं सलाहुद्दीन ए, 2018, क्वालिटी फार्मर ट््रेनिंग वीडियोज टू सपोर्ट साउथ-साउथ लर्निंग, सी एस टी ट््रान्जैक्शन्स ऑन आईसीटी 6 पेज 245-255।

सावित्री मोहापात्रा


सावित्री मोहापात्रा
मॉस मीडिया अधिकारी
एक्सेस एग्रीकल्चर
नं0 3 कुमारन स्ट््रीट, पुडुचेरी 605 001, भारत 
ई-मेल: ेंअपजतप/ंबबमेेंहतपबनसजनतमण्वतह


Source: Agroecology education, LEISA India, Vol.24, No.2, June 2022

 

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